रईसी ने संभाला ईरान के राष्ट्रपति का पद, सैन्य ताकत में इजाफा करने का किया एलान

रईसी ने कहा समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका को पहले अपने लगाए प्रतिबंध हटाने होंगे। इसके लिए होने वाली राजनयिक पहल का वह समर्थन करेंगे। अपने भाषण में रईसी ने दबी जुबान में सऊदी अरब को हद में रहने की ताकीद की।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:53 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 10:53 PM (IST)
रईसी ने संभाला ईरान के राष्ट्रपति का पद, सैन्य ताकत में इजाफा करने का किया एलान
कुरान पर हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी से निभाने की शपथ ली (फोटो : एपी)

तेहरान, एपी। ईरान में गुरुवार को इब्राहीम रईसी ने राष्ट्रपति पद ग्रहण कर लिया। संसद में आयोजित समारोह में काले रंग की परंपरागत पगड़ी बांधे रईसी ने कुरान पर दाहिना हाथ रखकर राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी से निभाने की शपथ ली। रईसी की पहचान एक कट्टरपंथी विद्वान की है, जिसका असर आने वाले दिनों में सरकार के कामकाज में देखने को मिल सकता है। वह ईरान के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।

रईसी अमेरिका समेत ज्यादातर पश्चिमी देशों के खिलाफ सोच रखने वाले नेता हैं। ऐसे में जबकि ईरान की 2015 में हुए परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका और अन्य देशों से वार्ता चल रही है, उस पर विपरीत असर पड़ने की आशंका है। रईसी ने अपने शुरुआती भाषण में इसके संकेत दे दिए। उन्होंने कहा, समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका को पहले अपने लगाए प्रतिबंध हटाने होंगे। इसके लिए होने वाली राजनयिक पहल का वह समर्थन करेंगे। अपने भाषण में रईसी ने दबी जुबान में सऊदी अरब को हद में रहने की ताकीद की। नए राष्ट्रपति ने इलाके में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए ईरान की सैन्य क्षमता बढ़ाने का भी एलान किया। अमेरिका, यूरोप का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, जहां भी जुल्म होगा-उसके खिलाफ वह आवाज उठाएंगे। उनका चुनाव दुनिया की घमंडी ताकतों को जवाब है। कोरोना संक्रमण के बीच ईरान में हुए कम मतदान प्रतिशत वाले चुनाव में रईसी ने भारी मतों से जीत दर्ज कराई थी।

शपथ ग्रहण समारोह में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई भी मौजूद थे। उन्होंने रईसी को देश के गरीबों और देश की करेंसी को मजबूत करने की सलाह दी। अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप के 2018 में लगाए प्रतिबंधों से ईरान की आर्थिक दशा खस्ता हाल में है। वहां की मुद्रा रियाल कमजोर होती जा रही है।

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