Democracy in Qatar: खाड़ी देश कतर में लोकतंत्र की शुरुआत, शुरा परिषद के लिए लोगों ने पहली बार किया मतदान
कतर में शनिवार को पहली बार राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं। लोगों ने विधायी चुनाव के लिए पहली बार वोट डाले। कतर में इसे लोकतंत्र की शुरुआत माना जा रहा है। देश की शूरा काउंसिल के लिए मतदान को विधायी चुनाव के तौर पर भी देखा जा रहा है।
दोहा, एजेंसी। Democracy begins in Qatar: खाड़ी देश कतर में शनिवार को पहली बार राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं। कतर के लोगों ने विधायी चुनाव के लिए पहली बार वोट डाले। कतर में इसे लोकतंत्र की शुरुआत माना जा रहा है। देश की सलाहकार परिषद शूरा काउंसिल के लिए मतदान हुआ, इसे देश के पहले विधायी चुनाव के तौर पर भी देखा जा रहा है। हालांकि, इस चुनाव को लेकर भी बहुत तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, लेकिन यह चुनाव अपने आप में ऐतिहासिक है।
45 सीटों वाली इस शुरा परिषद के लिए मतदान
दरअसल, इस खाड़ी देश में सलाहकार शुरा परिषद की दो तिहाई सीटों के लिए शनिवार को पहली बार चुनाव कराए गए। 45 सीटों वाली इस परिषद के 30 सदस्यों के चयन के लिए मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की भीड़ देखी गई। यहां मतदान के लिए महिला और पुरुष वोटरों के लिए अलग-अलग व्यवस्था थी, जबकि बाकी 15 सदस्य सरकार की ओर से नामित किए गए जाएंगे।
30 जिलों में चुनाव में उतरे 234 प्रत्याशियों में से 26 महिलाएं
बच्चों के लिए किताब लिखने वाले मुनीर नामक एक मतदाता ने कहा, 'मतदान के अवसर को मैं एक नए अध्याय के रूप में देख रहा हूं। कई महिला प्रत्याशियों के बारे में सुनकर मैं वास्तव में बहुत खुश हूं।' सरकारी सूची के अनुसार, देश के 30 जिलों में चुनाव में उतरे 234 प्रत्याशियों में से 26 महिलाएं हैं। देश में कई वर्षो से नगर पालिका चुनाव होते आ रहे हैं। प्रत्याशियों ने चुनाव प्रचार के लिए इंटरनेट मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया। मार्खिया जिले के खालिद अलमुटावाह नामक प्रत्याशी ने बताया कि यह उनके लिए पहला अनुभव है।
कतर ने बनाया मतदान के लिए कानून
कतर में इस साल जुलाई में मतदान के लिए कानून पास किया गया। इस कानून के तहत 18 साल से अधिक आयु के नागरिक मतदान में हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिए यह शर्त रखी गई थी कि मतदान में वही नागरिक हिस्सा ले सकेंगे जो मूल रूप से कतर के नागरिक हो या वह यह साबित कर सके कि उनके पूर्वज कतर में पैदा हुए थे। उन लोगों को अपने पूर्वज के बारे में साबित करना होगा कि 1930 के पहले वे लोग कतरी क्षेत्र में रह रहे थे। इसके बाद ही वह मतदान कर सकेंगे।
मतदान के इस नियम से नाराज हैं एक खास जनजाति
मतदान के एक नियम से कतर की जनजातियों में नाराजगी है। खासकर अल-मुर्रा जनजाति के लोगों में इस नियम को लेकर नाखुश हैं। इस नियम के अनुसार जो व्यक्ति 1971 में कतर के गठन के बाद लगातार देश में नहीं रहा है वह इस चुनाव में भाग नहीं ले सकता है। अगस्त महीने में इस नियम के खिलाफ प्रदर्शन भी हुए थे। बता दें कि अल मुर्रा जनजाति और कतर के शाही परिवार के बीच संबंध हमेशा से तल्ख रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2017 में जब कतर और सऊदी अरब के बीच तनातनी बढ़ी थी तब इस जनजाति ने सऊदी का साथ दिया था।
दुनिया का सबसे बड़ा गैस उत्पादक, अमेरिका का बड़ा सहयोगी
खाड़ी देशों में कतर की पहचान दुनिया के सबसे बड़े गैस उत्पादक देशों में की जाती है। कतर दुनिया का सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाला मुल्क है। कतर में प्रति व्यक्ति आय 59,000 डालर है। अमेरिका कतर का सबसे बड़ा सहयोगी है। कतर में अगले वर्ष फुटबाट विश्व कप खेला जाना है। उसके पहले वह अपनी छवि को सुधारने में जुटा है। दुनिया के सामने वह अधिक लोकतांत्रिक देश के रूप में दिखाना चाह रहा है। वर्ष 2009 में शूरा के लिए मतदान की बात उठी थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। प्राकृतिक गैस उत्पादक इस खाड़ी देश में विदेशी कामगारों की भारी संख्या है। देश की आबादी करीब 30 लाख है, लेकिन इसमें से सिर्फ 10 फीसद लोग ही यानी तीन लाख लोग वोट कर सकते हैं।