सबसे लंबे समय तक जापान के पीएम रहने का रिकॉर्ड एबी शिंजो के नाम

शिंजो ने 52 वर्ष की उम्र में जापान के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उस वक्‍त वह जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 03:30 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 03:30 PM (IST)
सबसे लंबे समय तक जापान के पीएम रहने का रिकॉर्ड एबी शिंजो के नाम
सबसे लंबे समय तक जापान के पीएम रहने का रिकॉर्ड एबी शिंजो के नाम

टोक्‍यो, एजेंसी। जापान के प्रधानमंत्री शिंजाे आबे के नाम एक रिकॉर्ड दर्ज हो गया है। शिंजो देश में अब तक सर्वाधिक समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाले व्‍यक्ति बन गए हैं। शिंजो ने 52 वर्ष की उम्र में जापान के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उस वक्‍त वह जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। वह 2,887 दिन इस पद पर रहे। फ‍िलहाल वह वर्ष 2021 तक पद पर बने रहेंगे। इसके साथ ही वह दूसरे विश्‍व युद्ध के बाद पैदा हाेने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। इतने लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने के बावजूद अभी उनके कई सपने अधूरे हैं। उन्‍होंने कहा कि संव‍िधान में संशोधन का उनका एक अहम लक्ष्‍य अब तक पूरा नहीं हो सका है। 

तारा कतसूरा दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री जो लंबी अवधि तक रहे 

इसके पूर्व लंबे समय तक इस पद पर पूर्व प्रधानमंत्री तारा कतसूरा रह चुके हैं। वह 1901 से 1913 के बीच इस पद पर रहे। वह जापान के तीन बार प्रधानमंत्री बने थे। आबे का यह कार्यकाल कम से कम 2021 से पहले तक को नहीं ही खत्म होने जा रहा है और उसके बाद भी उनका कोई उत्तराधिकारी स्पष्ट रूप से नजर भी नहीं आ रहा। 

लंबे कार्यकाल के बावजूद कई सपने रहे अधूरे 

अपने इस लंबे कार्यकाल के बावजूद कई ऐसे कार्य हैं, जो अभी उनके लक्ष्‍य में शामिल है।  इसी वर्ष सितंबर में कैबिनेट फेरबदल के बाद उनके दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर चुनाव अभियान के दौरान अनियमितता का आरोप था। एबी भले ही किसी गलत काम से इन्कार कर रहे हों, लेकिन 16-17 नवंबर को आशी समाचार पत्र द्वारा कराए गए सर्वे में 68 फीसद लोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। उनके समर्थकों की संख्या हालांकि अब भी 44 फीसद बनी हुई है। एबी का यह कार्यकाल 2021 तक है और फिलहाल उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं दिख रहा।

उन्‍होंने उम्‍मीद जताई थी कि वह नए देश के निर्माण की चुनौती पर काम करेंगे। अपने कार्यकाल में शिंजो ने कई बाद संविधान में व्‍यापक संशोध्‍न की बात कर चुके हैं। उनकी मान्‍यता थी कि द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद तैयार हुए जापान के संविधान में पर्याप्‍त संशोधन की जरूरत है।  

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