अमेरिका ने चीन से पांचेन लामा की मांगी जानकारी, कहा- स्वतंत्र विशेषज्ञ को उनसे मिलने दिया जाए

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने चीनी सरकार से तिब्बती बौद्ध गुरु 11वें पंचेन लामा से उनकी जानकारी मांगते हुए पूछा है कि वह अब कहां हैं। पंचेन लामा (Panchen Lama) को चीनी प्रशासन ने बंधक बना लिया था जब वह महज छह साल के थे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 06:00 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 06:00 PM (IST)
अमेरिका ने चीन से पांचेन लामा की मांगी जानकारी, कहा- स्वतंत्र विशेषज्ञ को उनसे मिलने दिया जाए
अमेरिकी आयोग ने चीनी सरकार से तिब्बती बौद्ध गुरु 11वें पंचेन लामा से उनकी जानकारी मांगी है।

वाशिंगटन, एएनआइ। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (US Commission on International Religious Freedom, USCIRF) ने चीनी सरकार से तिब्बती बौद्ध गुरु 11वें पंचेन लामा से उनकी जानकारी मांगते हुए पूछा है कि वह अब कहां हैं। पंचेन लामा (Panchen Lama) को चीनी प्रशासन ने बंधक बना लिया था जब वह महज छह साल के थे।

यूएससीआइआरएफ आयुक्त नाडाइन मेंजा ने मांग की है कि तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा के बाद दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरू पंचेन लामा से एक स्वतंत्र विशेषज्ञ को मिलने की अनुमति दी जाए ताकि वह उनके सकुशल होने की पुष्टि कर सकें। दलाई लामा ने गेधुन चोकी निमा को बतौर 11वें पंचेन लामा के रूप में मान्यता 14 अप्रैल, 1989 को दी थी।

मेंजा ने कहा कि 25 अप्रैल, 1989 को जन्मे गेधुन को छह साल की उम्र में चीनी प्रशासन ने 15 मई, 1995 को सपरिवार अपहृत कर लिया था। तब से लेकर अब तक किसी को भी 11वें पंचेन लामा और उनके परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है।

पिछले महीने यूएससीआइआरएफ ने चीनी सरकार से गेधुन चोकी निमा के 32वें जन्मदिन पर उन्हें रिहा करने की मांग की है। मेंजा ने कहा कि चीनी सरकार इतनी क्रूरता पर उतर आई है और बौद्ध धर्म को इस कदर दबाना चाहती है कि छह साल के लड़के गेधुन का अपहरण कर लिया था। कोई नहीं जानता कि आज वह कहां हैं।

इस बीच चीन ने बौद्ध आबादी की धार्मिक आजादी पर कुठाराघात करते हुए ल्हासा में धार्मिक महीने 'सागा दावा' के दौरान किसी धार्मिक अनुष्ठान को करने से रोक दिया है। एक अधिसूचित सकुर्लर में बुधवार से शुरू हो रहे तिब्बती कैलेंडर के चार महीने में कोई पूजा-पाठ करने से रोक दिया गया है। बौद्धों के लिए यह अवधि बेहद पवित्र मानी जाती है।

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