बंधुआ मजदूरी और उइगर मुस्लिमों के उत्‍पीड़न के मसले पर चीन को घेरने में जुटा अमेरिका, बनाई रणनीति

अंतरराष्‍ट्रीय मोर्चे पर चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। अमेरिका ने जी-7 सम्मेलन में बंधुआ मजदूरी प्रथा के मुद्दे पर चीन का बहिष्कार करने के लिए सहयोगी लोकतांत्रिक देशों पर दबाव बनाने की योजना तैयार की है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 05:12 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 05:24 PM (IST)
बंधुआ मजदूरी और उइगर मुस्लिमों के उत्‍पीड़न के मसले पर चीन को घेरने में जुटा अमेरिका, बनाई रणनीति
अंतरराष्‍ट्रीय मोर्चे पर चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है।

कार्बिस बे (इंग्लैंड), एपी। अंतरराष्‍ट्रीय मोर्चे पर चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। अमेरिका ने जी-7 सम्मेलन में बंधुआ मजदूरी प्रथा के मुद्दे पर चीन का बहिष्कार करने के लिए सहयोगी लोकतांत्रिक देशों पर दबाव बनाने की योजना तैयार की है। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सम्मेलन के दौरान ये देश विकासशील देशों में चीन की कोशिशों की काट के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना की शुरुआत करेंगे।

अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन चाहते हैं कि जी-7 के नेता उइगर मुस्लिमों के उत्‍पीड़न और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों से बंधुआ मजदूरी कराने के मसले पर चीन के खिलाफ एकजुटता के साथ आवाज उठाएं। बाइडन को उम्मीद है कि बंधुआ मजदूरी जैसी कुप्रथा को लेकर शिखर सम्मेलन में चीन की आलोचना होगी। हालांकि अमेरिका की राह में कुछ यूरोपीय सहयोगी आड़े आ सकते हैं जो चीन के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं करना चाहते हैं।

बता दें कि दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के कार्बिस बे में शुक्रवार को शुरू हुआ यह सम्मेलन रविवार को संपन्न होगा। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक फि‍लहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये नेता चीन के खिलाफ क्‍या कदम उठाएंगे। जी-7 कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे ताकतवर मुल्‍कों का एक समूह है। ऐसे में आने वाले वक्‍त में चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी से अंतरराष्‍ट्रीय सियासी माहौल के गरमाने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं।

हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने चीन को एक बढ़ती हुई चुनौती बताया है। बीते दिनों पेंटागन के वार्षिक बजट पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान सवालों के जवाब में ऑस्टिन ने अमेरिकी सांसदों से कहा था कि चीन के आक्रामक रवैये से समूचे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुश्किल खड़ी हो सकती है। ऑस्टिन ने मौजूदा दौर में चीन को अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा की दौड़ में सबसे आगे बताया। उनका कहना था कि चीन दुनिया का सबसे प्रभावशाली देश बनना चाहता है।

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