दहशत में हैं अफगानिस्तान में बसे उइगर मुस्लिम, चिनफिंग के दबाव में चीन को सौंप सकता है तालिबान

चीन के शिनजियांग प्रांत में उत्पीड़न के बाद सीमा पार कर अफगानिस्तान भागकर आ गए उइगर मुस्लिम अब दहशत में हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि चीन को खुश करने के लिए तालिबान उनको वापस भेज सकता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Sep 2021 06:30 PM (IST) Updated:Sun, 05 Sep 2021 06:30 PM (IST)
दहशत में हैं अफगानिस्तान में बसे उइगर मुस्लिम, चिनफिंग के दबाव में चीन को सौंप सकता है तालिबान
चीन में उत्पीड़न के बाद सीमा पार कर अफगानिस्तान भागकर आ गए उइगर मुस्लिम अब दहशत में हैं।

काबुल, एएनआइ। चीन के शिनजियांग प्रांत में उत्पीड़न के बाद सीमा पार कर अफगानिस्तान भागकर आ गए उइगर मुस्लिम अब दहशत में हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि चीन को खुश करने के लिए तालिबान उनको वापस भेज सकता है। सीएनएन में इवान वाटसन ने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में रहने वाले उइगर मुस्लिमों की हालत के बारे में लिखा है। उन्होंने लिखा है कि वर्षों पहले उइगर मुस्लिम चीन के अत्याचार से पीडि़त होकर सीमा पार करके अफगानिस्तान भाग आए थे।

लंबे समय से वे यहीं रह रहे हैं। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने और उसकी चीन से नजदीकी से सभी उइगर मुस्लिम अपने भविष्य के प्रति आशंकित हैं। पिछले कुछ वर्षों में चीन ने शिनजियांग में सुरक्षा कड़ी करने के साथ ही धार्मिक आधार पर उत्पीड़न तेज कर दिया है। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार बीस लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिम अभी भी शिनजियांग के यातनागृह में बंद हैं।

तमाम उइगर मुस्लिम अफगानिस्तान में 45 साल पहले आए थे। इनमें से बड़ी तादाद को अब अफगान नागरिकता मिल चुकी है। चीन का तालिबान के साथ सहयोग अब उन्हें बेवजह नजर नहीं आ रहा। उनको लगता है कि चीन उनके प्रत्यर्पण की मांग कर सकता है। 

कनाडा स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फार राइट एंड सिक्योरिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तालिबान और इस्लामिक स्टेट के हमेशा से ही निशाने पर रहा शिया हजारा समुदाय अब मुसीबत में है। तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होने के बाद इन पर हमलों में एकदम तेजी आई है। तालिबान और इस्लामिक स्टेट के हमले गांवों, स्कूलों और धार्मिक स्थलों पर हो रहे हैं। बामियान में तालिबान के कब्जे के बाद सबसे पहले शिया हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की ही प्रतिमा को तोड़ा गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्‍तान में इस समुदाय का भविष्य खतरे में है।

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