उइगरों पर हुए अत्याचारों की दास्तां बनेगी म्यूजियम का हिस्सा, चीन में हो रहे रोंगटे खड़े करने वाले अत्‍याचार

उइगर अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता रूशन अब्बास ने शिनजियांग में उइगरों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों पर से पर्दा उठाया है। बताया कि शिनजियांग में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्हें पकड़कर अज्ञात असर वाले इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 11 Nov 2020 09:53 PM (IST) Updated:Wed, 11 Nov 2020 09:53 PM (IST)
उइगरों पर हुए अत्याचारों की दास्तां बनेगी म्यूजियम का हिस्सा, चीन में हो रहे रोंगटे खड़े करने वाले अत्‍याचार
चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमान का उत्‍पीड़न।

 वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका के होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूजियम में अब चीन से आए उइगर मुसलमानों के अत्याचारों की कहानियां रिकॉर्ड की जा रही हैं। इन कहानियों के रिकॉर्ड वहां पर रखे जाएंगे। ये उइगर मुसलमान चीन के शिनजियांग प्रांत से भागकर अमेरिका पहुंचे हैं या वहां रह रहे हैं। ये चीन से बाहर आने के लिए खुद को भाग्यशाली मान रहे हैं। चीन के शिनजियांग प्रांत की 45 प्रतिशत आबादी इन तुर्किक उइगर मुस्लिमों की है। चीनी प्रशासन इस समुदाय पर सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक आधार पर अत्याचार कर रहा है। ये हर तरह के और हर स्तर पर होने वाले भेदभाव के शिकार हैं। 

अत्याचारों के अनुभव हो रहे रिकॉर्ड
उइगर अमेरिकी सामाजिक कार्यकर्ता रूशन अब्बास ने शिनजियांग में उइगरों पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों पर से पर्दा उठाया है। बताया कि शिनजियांग में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है। उन्हें पकड़कर अज्ञात असर वाले इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस इंजेक्शन के जरिये महिलाओं का बंध्याकरण किया जा रहा है जिससे उइगरों की आबादी न बढ़ पाए। अब्बास ने बताया कि अमेरिका में उनके बोलने की सजा चीन में मौजूद उनकी बहन भुगत रही है। उसे हर तरह से प्रताड़ि‍त किया जा रहा है। चीन सरकार ने उसे एक अन्य महिला के साथ हिरासत में ले लिया है जिससे कि वह (अब्बास) अमेरिका में शिनजियांग के बारे में कुछ न बोलें। 
 
रूशन अब्बास का परिवार मूल रूप से शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुस्लिम समुदाय से संबंधित है। चीन की सरकार इस समुदाय पर दशकों से अपने पहचान चिह्न छोड़ने पर दबाव डाल रही है। सरकार समुदाय को बहुसंख्यक हान समुदाय के रीति-रिवाज और रहन-सहन को अपनाने के लिए कह रही है जिससे देश में एकरूपता आ जाए।
 
चीनी अत्याचार के दूसरे शिकार 37 वर्षीय बहराम सिंताश हैं। वह अपने 70 साल के लापता पिता कुरबान ममूत को पिछले तीन साल से तलाश रहे हैं। वह शिनजियांग के अपने आवास से अचानक लापता हो गए थे। ममूत पत्रकार थे और बेटे बहराम से मिलने के लिए अमेरिका आने के बाद शिनजियांग लौटने पर उन्हें चीन की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अब उनका पता नहीं है।
 
सिंताश अमेरिका में रहकर उइगरों के लिए आवाज उठा रहे हैं। 2009 में वह इस सिलसिले में वाशिंगटन डीसी में हुए एक प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे। उनका मानना है कि इसी कारण से उनके पिता को गायब कर दिया गया है। मेमोरियल में ममतजान जुमा पर हुए अत्याचार की दास्तां भी रिकॉर्ड कराई गई है। 
 
आइसीसी में चीन के अत्याचारों को रोकने के लिए याचिका
पूर्वी तुर्किस्तान की निर्वासित सरकार ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आइसीसी) में अर्जी दायर कर चीन में तुर्किक मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को रुकवाने के लिए सहयोग मांगा है। कहा है कि पूर्वी तुर्किस्तान में मूलवासियों का नरसंहार हो रहा है, आवाज उठाने पर लोगों को गायब किया जा रहा है। निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री सालिह हुंदयार ने कहा है कि हम सभी सरकारों और खासकर आइसीसी से अनुरोध करते हैं कि चीन के खिलाफ हमारे मामले का वे सहयोग करें। चीन सरकार देश के उइगर, कजाख, किर्गीज, उज्बेक और अन्य तुर्किक मुसलमानों पर भारी अत्याचार कर रही है और उनका नरसंहार किया जा रहा है। सरकार के बयान में कहा गया है कि आइसीसी में दायर याचिका को 16 देशों के 60 से ज्यादा सांसदों का समर्थन हासिल है। याचिका में कहा गया है कि चीन सरकार के कृत्य मानवता के खिलाफ अपराध हैं। इन्हें रोकने के लिए अविलंब कदम उठाए जाएं। 
 
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