एससीओ ने की आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चे की वकालत
दो दिवसीय सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई है, लेकिन इसमें किसी आतंकी संगठन का उल्लेख नहीं किया गया है।
क्विंगदाओ, प्रेट्र। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) ने रविवार को आतंकवाद, अलगाववाद और कट्टरवाद से अगले तीन साल में नए जोश से लड़ने का संकल्प व्यक्त किया। संगठन ने संयुक्त राष्ट्र के समन्वय में एकीकृत वैश्विक आतंकरोधी मोर्चा बनाने की भी वकालत की।
दो दिवसीय सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई है, लेकिन इसमें किसी आतंकी संगठन का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके मुताबिक, सभी सदस्य देश यूएन कांप्रीहेंसिव कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरोरिज्म की स्वीकार्यता के लिए आमसहमति बनाएंगे। संगठन ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संघर्षो के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यापक उपायों के महत्व पर भी जोर दिया। एससीओ नेताओं ने युवाओं से संयुक्त रूप से अपील की कि वे कट्टरवादी विचारधाराओं से प्रभावित न हों।
आतंकियों को किसी भी तरह से वित्तपोषण और उन्हें तकनीकी या अन्य सहायता मुहैया कराने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेषज्ञ प्रस्ताव को प्रभावी रूप से लागू करने का भी सम्मेलन में आह्वान किया गया। एससीओ सदस्यों ने जनसंहारक हथियारों के आतंकियों के हाथ में पहुंचने के खतरे पर भी चिंता व्यक्त की। इस खतरे से निपटने के लिए सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रावधानों को और मजबूत बनाने की वकालत की।
दो दिवसीय सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा की गई है, लेकिन इसमें किसी आतंकी संगठन का उल्लेख नहीं किया गया है। इसके मुताबिक, सभी सदस्य देश यूएन कांप्रीहेंसिव कंवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरोरिज्म की स्वीकार्यता के लिए आमसहमति बनाएंगे। संगठन ने अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संघर्षो के शांतिपूर्ण समाधान के लिए व्यापक उपायों के महत्व पर भी जोर दिया। एससीओ नेताओं ने युवाओं से संयुक्त रूप से अपील की कि वे कट्टरवादी विचारधाराओं से प्रभावित न हों।
आतंकियों को किसी भी तरह से वित्तपोषण और उन्हें तकनीकी या अन्य सहायता मुहैया कराने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेषज्ञ प्रस्ताव को प्रभावी रूप से लागू करने का भी सम्मेलन में आह्वान किया गया। एससीओ सदस्यों ने जनसंहारक हथियारों के आतंकियों के हाथ में पहुंचने के खतरे पर भी चिंता व्यक्त की। इस खतरे से निपटने के लिए सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रावधानों को और मजबूत बनाने की वकालत की।