उइगरों के शोषण के लिए 220 एकड़ में नया डिटेंशन सेंटर, अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद चीन में थमा नहीं अत्याचार का सिलसिला

अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद चीन में उइगर मुसलमानों के शोषण का दौर थम नहीं रहा है। ऐसी खबर है कि यहां उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए 240 हिरासत केंद्र बनाए गए हैं। इन्हें टीवी पर कम्युनिस्ट पार्टी का इतिहास दिखाया जाता है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 02:48 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 02:48 PM (IST)
उइगरों के शोषण के लिए 220 एकड़ में नया डिटेंशन सेंटर, अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद चीन में थमा नहीं अत्याचार का सिलसिला
शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार के लिए 240 हिरासत केंद्र

दबनचेंग, एपी। शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों व अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का सिलसिला थम नहीं रहा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम आलोचनाओं के बावजूद यहां नए डिटेंशन सेंटर का निर्माण किया गया है वह भी इतन बड़ा कि यहां दस हजार से अधिक लोग रह सकते हैं। यह वेटिकन सिटी से दोगुना बड़ा है दूसरे शब्दों में चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर बनाया है। इसमें  चीन ने 240 हिरासत केंद्र बना रखे हैं। कुछ हिरासत केंद्रों में नई इमारत बन रही हैं। यह न्यूज एजेंसी एपी का अनुमान है क्योंकि चीन के अधिकारियों ने इस बारे में स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

दबनचेंग में ऐसे ही एक हिरासत केंद्र के संबंध में समाचार एजेंसी एपी के इस संवाददाता ने जाकर तहकीकात की। यह हिरासत केंद्र 220 एकड़ में फैला हुआ था। इस स्थान पर उइगर मुस्लिमों को रखा गया है। इन कैदियों को एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के जरिये चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास की जानकारी दी जा रही थी। हालांकि यहां चीनी अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि ऐसे कितने हिरासत केंद्र चल रहे हैं। लेकिन तहकीकात में यह जानकारी मिली कि 240 ऐसे केंद्र कार्य कर रहे हैं। इस हिरासत केंद्र में ही लगभग दस हजार उइगर मुस्लिम थे। इस जगह को देखकर लगता है कि चीन का इरादा ऐसे हिरासत केंद्रों को कतई बंद करना नहीं है। यही नहीं यहां पर नई इमारत बनाई जा रही हैं। चीन का तर्क रहता है कि ये हिरासत केंद्र आतंकवाद से लड़ाई लड़ने के लिए बनाए गए हैं। कई केंद्रों को व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र बताया जाता है।

शिनजियांग के इन हिरासत केंद्रों के बारे में लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई जा रही है। शोधकर्ताओं का मानना है कि विदेश यात्रा करने या धार्मिक समारोह में शरीक होने पर भी सजा देकर उन्हें यहां बंद कर दिया जाता है। कोलोराडो विश्वविद्यालय में उइगरों पर अध्ययन करने वाले मानवविज्ञानी डेरेन बायलर कहते हैं कि ऐसे सैकड़ों लोग हैं, जो बिना अपराध के ही इन हिरासत केंद्रों में बंद कर दिए गए हैं और यातना का शिकार हो रहे हैं।

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