नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दी चुनौती, कहा- प्रचंड में हिम्मत है तो पीएम पद से हटाकर दिखाएं

Political Crisis in Nepal नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कम्युनिस्ट पार्टी में अपने विरोधी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड को सीधी चुनौती दी है। ओली ने कहा है कि प्रचंड में हिम्मत है तो वह उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाएं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:09 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:09 PM (IST)
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दी चुनौती, कहा- प्रचंड में हिम्मत है तो पीएम पद से हटाकर दिखाएं
केपी शर्मा ओली ने कम्युनिस्ट पार्टी में अपने विरोधी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड को सीधी चुनौती दी है।

काठमांडू, पीटीआइ। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कम्युनिस्ट पार्टी में अपने विरोधी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड को सीधी चुनौती दी है। ओली ने कहा है कि प्रचंड में हिम्मत है तो वह उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाएं। अपने गृह जिले झापा में आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने कहा कि प्रचंड अगर इतने ही शक्तिशाली हैं तो मेरे खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाएं और उसे पारित कराके दिखाएं।

केपी शर्मा ओली ने कहा कि वह अभी भी संसद में पार्टी के नेता हैं और कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन भी हैं। यदि आप संसद दोबारा शुरू करा सकते हैं तो उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाएं। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ओली ने संसद के निचले सदन को भंग कर चुनाव दोबारा कराने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद 20 दिसंबर को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर संसद के निचले सदन को भंग करने और चुनाव कराने को मंजूरी दी थी।

इससे नेपाल में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने ओली सरकार के निर्णय को असंवैधानिक करार देते हुए निचले सदन को बहाल करने का आदेश दिया। सरकार को तेरह दिन के अंदर सदन बुलाने का निर्देश दिया गया है। निचले सदन को भंग करने के मामले में कम्युनिस्ट पार्टी दो धड़ों में बंट गई है। दूसरे धड़े का नेतृत्व पुष्प कमल दहल प्रचंड कर रहे हैं।

ओली ने कहा है कि यदि आप हटा सकते हैं तो बेशक मुझे हटा दें। यदि मुझे अपदस्थ किया जाता है तो मैं अगले चुनाव में दो-तिहाई बहुमत के साथ जीत दर्ज करूंगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) के सहयोगियों से मिलना शुरू कर दिया है। वहीं विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए मोर्चेबंदी तेज कर दी है।

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