अटक सकती है ब्रह्मपुत्र पर चीन के बांध बनाने की योजना, जानें क्या है इसकी वजह
चीन प्रकृति को भी चुनौती देने से बाज नहीं आता है। अरुणाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध बनाने की योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इसकी वजह जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
बीजिंग, पीटीआइ। अरुणाचल प्रदेश की सीमा के नजदीक तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध बनाने की योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा है। भारत पहले ही इस परियोजना के खिलाफ रहा है। लेकिन अब ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से और उन इलाकों में पानी का रास्ता अवरुद्ध होने से बनी प्राकृतिक झीलों के कारण चीन को इस योजना में अब भारी खतरा नजर आ रहा है।
यह है चीन की योजना
मीडिया रिपोर्ट में बुधवार को बताया गया कि अरुणाचल की सीमा से लगी तिब्बत की आखिरी काउंटी में प्रस्तावित इस बांध का दुनिया के इतिहास में दूसरा कोई नहीं होगा। ब्रह्मपुत्र के ग्रैंड कैनियोन में स्थित मीडॉग काउंटी में एक महाविशाल बांध बनाने की योजना को चीन ने अपनी 14वीं पंच वर्षीय योजना का हिस्सा बनाया है। इस योजना को इसी साल से शुरू किया जाना था। इसी साल मार्च में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने चीन की संसद में इसे मंजूरी दी थी।
हो सकता है भारी नुकसान
हांगकांग के साउथ चाइना मार्निग पोस्ट अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले इंजीनियर इस बात से परेशान हैं कि लगातार जारी भूस्खलन और चट्टानों के टूटने से झीलें बनते जाने के कारण प्रस्तावित बांध को भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए ग्लेशियर टूटने की बर्फीली बाधा इस योजना को फलीभूत होने से रोक सकती है।
कभी भी गिर सकता है बांध
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2018 में ग्लेशियर पिघलने से भूस्खलन हुआ था और यारलुंग सैंगपो का रास्ता रुक गया था। यारलुंग सैंगपो ब्रह्मपुत्र नदी का ऊपरी हिस्सा है। यह तिब्बत की मिलिन काउंटी में सीडोंगपू बेसिन में स्थित है। तब भी एक झील बन गई थी जिसमें 60 करोड़ घन मीटर पानी था। चूंकि इस झील के ऊपर से पानी नीचे गिरता रहता है इसलिए यहां बना बांध कभी भी गिर सकता है।
सुपर हाइड्रोपावर प्लांट बनाना चाहता है चीन
सीडोंगपू झील उस स्थान से कुछ ही किलोमीटर दूर है जहां सुपर हाइड्रोपावर प्लांट बनना प्रस्तावित है। इसलिए वहां पर पहले कोई बड़ा बांध बनाने से पहले एक छोटा बांध बनाना पड़ेगा। ब्रह्मपुत्र नदी तो तिब्बत में यारलुंग जांगबो कहते हैं। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र सबसे बड़ी नदी है। दक्षिणी तिब्बत में तो यह सबसे गहरी (करीब 7000 मीटर) भी है।