अमेरिका से मुकाबले को ईरान ने चीन से मिलाया हाथ, सामरिक संधि पर किए हस्ताक्षर, जानें इसके मायनें

Iran and China Pact अमेरिका से तनाव के चलते ईरान ने अब चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा ली हैं। ईरान ने चीन के साथ 25 साल का परस्पर सामरिक समझौता किया है। जानें इस समझौते के क्‍या हैं मायने...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 06:11 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 12:10 AM (IST)
अमेरिका से मुकाबले को ईरान ने चीन से मिलाया हाथ, सामरिक संधि पर किए हस्ताक्षर, जानें इसके मायनें
अमेरिका से तनाव के चलते ईरान ने अब चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा ली हैं।

दुबई, रायटर। अमेरिका से तनाव के चलते ईरान ने अब चीन के साथ नजदीकियां बढ़ा ली हैं। तेहरान ने बीजिंग के साथ 25 साल का परस्पर सामरिक समझौता किया है। साथ ही अब व्यापारिक क्षेत्रों में भी चीन का निवेश बढ़ेगा। ईरान को उम्मीद है कि संधि के बाद अब परमाणु समझौते पर चीन उसके साथ खड़ा होगा। इस संधि पर शनिवार को चीन और ईरान के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि अब दोनों देशों के संबंध स्थाई और सामरिक रूप से और महत्वपूर्ण हो जाएंगे।

ईरान ने कहा है कि वह अन्य देशों से संबंध बनाने का निर्णय स्वतंत्र रूप से करेगा। वो उन देशों में नहीं है, जिनके संबंध एक फोन कॉल के बाद बदल जाते हैं। वांग ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से भी मिले। ईरानी विदेश मंत्री के प्रवक्ता सईद खातिबजाद ने कहा कि संधि से दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक गतिविधियां, परिवहन के क्षेत्र में काम आगे बढ़ेगा। विशेषतौर पर प्राइवेट सेक्टर को गति मिलेगी।

वैसे 2016 से ही चीन ईरान का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि चीन ईरान के 2015 के परमाणु समझौते के हितों को भी सुरक्षित करेगा। ज्ञात हो कि यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ परमाणु समझौते को लेकर ईरान के संबंध बहुत ही तनावपूर्ण स्थिति में हैं। 

हाल ही में ईरान के अर्धसैनिक बल रीवोल्यूशनरी गार्ड ने जमीन के अंदर मिसाइल संयंत्र की शुरुआत की थी। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक इस जगह का इस्तेमाल मिसाइलों को रखने के लिए किया जाएगा। मालूम हो कि साल 2011 के बाद से ईरान ने पूरे देश के साथ-साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होर्मुज जलडमरूमध्य के पास स्थित दक्षिणी तट में भी जमीन के अंदर सामरिक महत्व के संयंत्रों की शुरुआत की थी। ईरान यह दावा करता रहा है कि उसके पास ऐसी मिसाइलें जो दो हजार किलोमीटर तक मार कर सकती हैं।  

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