एलएसी पर गतिरोध के बीच चीन ने बनाया सीमा कानून, इसके मुताबिक कब्जे की जमीन पर होगा उसका अधिकार

चीन ने नया सीमा कानून बनाया है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक उसने यह कानून अपने सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए बनाया है। भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने यह कानून बनाया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 08:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 12:45 AM (IST)
एलएसी पर गतिरोध के बीच चीन ने बनाया सीमा कानून, इसके मुताबिक कब्जे की जमीन पर होगा उसका अधिकार
चीन ने अपने सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए नया सीमा कानून बनाया है।

बीजिंग, पीटीआइ। चीन ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को पवित्र और उल्लंघन लायक न मानते हुए नया कानून बनाया है। उसने यह कानून अपने सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा के लिए बनाया है। भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद और अरुणाचल प्रदेश में बनी तनातनी की स्थिति के बीच चीन ने यह कानून बनाया है। चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति ने सत्र की समाप्ति से पहले शनिवार को हुई बैठक में इस कानून को स्वीकृति दी है। यह कानून एक जनवरी, 2022 से लागू होगा।

क्‍या कहता है नियम 

इसके अनुसार चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता ऐसी पवित्रता होगी जिसमें किसी तरह का फेरबदल नहीं हो सकेगा। मतलब जो जमीन चीन के कब्जे में है- वह चीन की मानी जाएगी। उससे पीछे हटने का मतलब होगा कि कानून का उल्लंघन हो रहा है और देश की संप्रभुता से समझौता हो रहा है। इसलिए अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए चीन सीमाओं पर आवश्यक बंदोबस्त करेगा और उन सभी हरकतों का कड़ाई से जवाब देगा जो उसकी अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली होंगी।

कानून के दो पहलू

यह कानून सीमा की सुरक्षा को मजबूत करने और सीमा क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए हर संभव प्रयास करेगा। इस कानून के दो पहलू होंगे। पहला चीन इसके जरिये अपने पड़ोसी देशों से चल रहे सीमा विवाद निपटा सकेगा। दूसरा, जो जमीन उसके कब्जे में है उसे अपनी मानकर उस पर कब्जा बरकरार रखने के लिए चीन वहां अपनी ताकत बढ़ाएगा। यह कानून जमीनी और समुद्री, दोनों तरह के सीमा क्षेत्रों पर लागू होगा।

अपनी विस्‍तारवादी नीति पर आगे बढ़ रहा ड्रैगन 

चीन ने भारत और भूटान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए समझौता किया है। जबकि 12 अन्य पड़ोसियों के साथ वह अपने विवाद निपटा चुका है। हां, दक्षिण चीन सागर को लेकर पड़ोसी देशों से उसकी समुद्री सीमा का विवाद जरूर बना हुआ है और ताइवान के स्वतंत्र अस्तित्व को चीन स्वीकार नहीं करता है, उसे अपना हिस्सा बताता है।

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तनावपूर्ण

इसी प्रकार से तिब्बत को भी चीन अपना हिस्सा मानकर चल रहा है जबकि तिब्बत भारत और चीन के बीच का बफर स्टेट (स्वतंत्र देश) है। हाल ही में भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने चीन से लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा के किनारे स्थित पूर्वी लद्दाख की स्थिति को गंभीर रूप से खराब बताया है। चीन की घुसपैठ के खिलाफ भारत ने वहां पर सेना तैनात कर रखी है। 

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