कोमा में पहुंचे मरीज के लिए वरदान साबित हुआ है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कंसेप्ट भले ही नया हो लेकिन कम समय में यह जितना कारगर साबित हो रहा है, उतनी पहले शायद ही कोई दूसरी तकनीक हुई हो।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कंसेप्ट भले ही नया हो लेकिन कम समय में यह जितना कारगर साबित हो रहा है, उतनी पहले शायद ही कोई दूसरी तकनीक हुई हो। रक्षा क्षेत्र में इस तकनीक की चर्चा हर जगह हो रही है और लगभग हर जगह इस शोध भी चल रहा है लेकिन मेडिकल क्षेत्र में इसकी कामयाबी पहली बार सामने आई है। दरअसल, चीन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये कोमा में पहुंच चुके सात ऐसे मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है जिन्हें डॉक्टर जवाब दे चुके थे। यह तकनीक ऐसे मरीजों के लिए नई और बड़ी उम्मीद बन कर सामने आई है।
चीन ने इस तकनीक का जिन मरीजों पर प्रयोग किया उनमें से एक 19 वर्षीय मरीज भी था। यह मरीज एक एक्सीडेंट के बाद करीब छह माह से निर्जीव अवस्था में था। इस एक्सीडेंट में उसके दिमाग के बाईं और चोट लगी थी, जिसके बाद वह इस अवस्था में पहुंच गया था। चीन के कुछ बेहतरीन न्यूरोलॉजिस्ट ने उसकी जांच की और दो चरण में उसका ट्रीटमेंट किया गया। पहले उसको कोमा से रिकवरी के लिए 23 में से 7 प्वांइट्स ट्रीटमेंट दिया। इस बीच मरीज के परिजनों को यह हक था कि वह कभी भी लाइफ सपोर्ट सिस्टम को हटाने के लिए कह सकते हैं। ब्रेन स्केन के बाद मरीज को 20 प्वांइट्स और ट्रीटमेंट दिया गया। इसी तरह के दूसरे मामले में डॉक्टरों ने एक ऐसी 41 वर्षीय महिला का इलाज जो तीन माह से कोमा में थी।
इनके अलावा डॉक्टरों ने पांच और ऐसे मरीजों का इलाज किया जिनके कोमा से बाहर निकलने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन महज 12 माह के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से इनके इलाज में मदद मिली है। लेकिन यहां पर ये भी बता दें कि मशीन में गलती के भी चांस होते हैं। 36 वर्षीय एक मरीज जो कि द्विपक्षीय मस्तिष्क तंत्र क्षति से पीडि़त था उसको डॉक्टरों ने लॉ-स्कोर ट्रीटमेंट दिया गया। एक वर्ष के अंदर वह मरीज पूरी तरह से रिकवर कर गया। चीन में जिस तरह से इस तकनीक ने दम दिखाया है दरअसल, उसके पीछे आठ साल की कड़ी मेहनत है। चाइनीज अकादमी ऑफ साइंस एंड पीएलए जनरल हास्पिटल ने यह सिस्टम डेवलेप किया है। सबसे खास बात ये है कि इसमें डॉक्टरों को इस तकनीक में 90 फीसद सक्सेस रेट हासिल हुआ है।
इस शोध के बाद डॉक्टरों को काफी उम्मीद है। आपको बता दें कि चीन में करीब 5 लाख मरीज ब्रेन स्ट्रोक और ब्रेन ट्रूमा के शिकार हैं। हर वर्ष करीब 70 हजार से एक लाख मरीज तक इसमें शामिल हो जाते हैं। इसकी वजह सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक दबाव भी होता है। चाइनीज अकादमी ऑफ साइंस के एसोसिएट रिसर्चर डॉक्टर सोंग मिंग के मुताबिक इस ट्रीटमेंट को लेकर मरीज के परिजनों को तय करना होता है कि वह अपने मरीज के लिए क्या फैसला लेते हैं। इन मरीजों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का तरीका कैंसर में किए जाने वाले इलाज से अलग होता है।
पीएलए जनरल अस्पताल में न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के डॉक्टर यांग यी के मुताबिक वर्ष 2010 से ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से अच्छे रिजल्ट मिल रहे हैं। अब इसका इस्तेमाल अस्पताल में रोजाना किया जा रहा है। इसकी वजह से 300 से अधिक मरीजों के इलाज में मदद भी मिल रही है। यहां पर आने वाले मरीज चीन के विभिन्न भागों से आते हैं। एआई तकनीक की सफलता के बाद कई लोग अपने मरीजों को बड़ी उम्मीद के साथ यहां पर ला रहे हैं।
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