चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग जलवायु परिवर्तन शिखर वार्ता में होंगे शामिल
climate change summit अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 23-24 अप्रैल को होने वाली वर्चुअल शिखर वार्ता में भारत सहित चालीस से ज्यादा देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। इसमें चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भी शामिल होंगे।
बींजिंग, रायटर। अमेरिका की मेजबानी में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली शिखर वार्ता में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग भाग लेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 23-24 अप्रैल को होने वाली वर्चुअल शिखर वार्ता में भारत सहित चालीस से ज्यादा देशों के नेताओं को आमंत्रित किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बताया की राष्ट्रपति शी चिनफिंग शिखर वार्ता में शामिल होने के साथ ही महत्वपूर्ण भाषण भी देंगे। इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन 22 और 23 अप्रैल को होगा और इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।
सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं चीन-अमेरिका
अमेरिका और चीन दोनों ही देश विश्व में सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। अब कई वर्षो के बाद दोनों ही देश जलवायु परिवर्तन पर एक साथ आ रहे हैं। पिछले सप्ताह अमेरिका के जलवायु परिवर्तन के विशेष दूत जॉन कैरी शंघाई यात्रा पर गए थे। इस यात्रा में कैरी की उनके समकक्ष से जलवायु परिवर्तन के मामले में सकारात्मक वार्ता हुई है। अमेरिका ने डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में पेरिस समझौते से खुद को अलग कर लिया था।
40 नेताओं को भेेजा है निमंत्रण
व्हाइट हाउस के अनुसार, 'यह ग्लासगो में इस साल नवंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) के मार्ग में एक मील का पत्थर होगा।' बता दें कि मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सऊद और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन समेत 40 नेताओं को शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है। इन नेताओं के अलावा दक्षिण एशिया से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और भूटान के प्रधानमंत्री लोते शेरिंग को भी सम्मेलन मे शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।
ये होंगे अहम मुद्दे-
व्हाइट हाउस ने बताया कि इस शिखर सम्मेलन और सीओपी26 का मुख्य लक्ष्य वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के प्रयासों को गति देना है। इस सम्मेलन में उन उदाहरणों को भी रेखांकित किया जाएगा कि किस प्रकार जलवायु महत्वाकांक्षा से अच्छे वेतन वाली नौकरियां पैदा होती हैं, नवोन्मेषी तकनीक विकसित करने में मदद मिलती है और कमजोर देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के अनुसार ढलने में सहायता मिलती है। व्हाइट हाउस ने कहा कि शिखर सम्मेलन के आयोजन से पहले अमेरिका पेरिस समझौते के तहत अपने नए राष्ट्रीय निर्धारित अंशदान के रूप में महत्वाकांक्षी 2030 उत्सर्जन लक्ष्य की घोषणा करेगा।