चीन के राष्ट्रपति ने कहा- ताइवान का मसला हल होगा, लेकिन नहीं करेंगे बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को साफ कर दिया कि ताइवान का मसला सुलझाया जाएगा और इस सिलसिले में कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चिनफिंग ने यह बयान ताइवान के चीन में शामिल किए जाने के मद्देनजर दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 07:39 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 07:39 PM (IST)
चीन के राष्ट्रपति ने कहा- ताइवान का मसला हल होगा, लेकिन नहीं करेंगे बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को साफ कर दिया

बीजिंग, प्रेट्र। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शनिवार को साफ कर दिया कि ताइवान का मसला सुलझाया जाएगा और इस सिलसिले में कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। चिनफिंग ने यह बयान ताइवान के चीन में शामिल किए जाने के मद्देनजर दिया है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है और उसी के हिसाब से वह अपनी गतिविधियां चलाता है।

बाइडन के दावे के उलट चिनफिंग का एलान

चीनी राष्ट्रपति का यह बयान अमेरिका को सीधी चुनौती है जो ताइवान की संप्रभुता कायम रखने के लिए खुद को जिम्मेदार बताता है। हाल ही में चीन के लड़ाकू विमानों ने चंद रोज में 150 बार से ज्यादा ताइवान की वायु सीमा का उल्लंघन किया था। तब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने चिनफिंग से टेलीफोन पर बात की थी और दावा किया था कि दोनों पक्ष ताइवान नीति का पालन करने पर सहमत हैं। लेकिन चिनफिंग का ताजा बयान बाइडन के दावे के उलट है।

चिनिफंग ने कहा, एकीकरण की राह में ताइवान की सेना सबसे बड़ी बाधा

चीन की संसद ताइवान पर कब्जे के लिए सेना के इस्तेमाल का प्रस्ताव 2005 में ही पारित कर चुकी है। देश की शाही सत्ता के खात्मे की 110 वीं वर्षगांठ पर बीजिंग के ग्रेट हाल आफ द पीपुल्स में राष्ट्रपति चिनफिंग ने कहा, चीन के एकीकरण की राह में ताइवान की सेना सबसे बड़ी बाधा है। जब तक ताइवान चीन में शामिल नहीं होता, तब तक चीन को संपूर्ण नहीं माना जा सकता। संपूर्ण चीन हमारा इतिहास है, चीन के लोगों के लिए यह सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण तथ्य है।

1949 में ही अलग हो गया था ताइवान

चीन में 1911 में सुन यत-सेन के नेतृत्व में हुई क्रांति ने 2,132 साल पुरानी राजशाही को खत्म किया था। इसी के बाद चीनी गणतंत्र की शुरुआत हुई थी और माओ त्से तुंग की अगुआई वाले आंदोलन से 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना (वर्तमान चीन) की स्थापना हुई थी। लेकिन 1949 में ही ताइवान अलग हो गया था और तभी से वह स्वतंत्र देश के रूप में वह कार्य कर रहा है। लेकिन चीन इस अलगाव को स्वीकार नहीं कर रहा है। 2012 में सत्ता संभालने वाले चिनफिंग कई मौकों पर ताइवान को चीन में शामिल करने की इच्छा जता चुके हैं। लेकिन ताइवान की निर्वाचित राष्ट्रपति साई इंग-वेन अपने देश की स्वतंत्रता की मजबूती से पैरोकारी करती हैं।

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