चीन का आरोप कोरोना उत्पत्ति के मामले को राजनीतिक रूप देने में लगे हैं कुछ देश, करेगा इसका विरोध
कोरोना उत्पत्ति के मामले में चीन ने ईयू की उस टिप्पणी का विरोध किया है जिसमें इस संबंध में हुए दूसरे चरण के शोध पर बयान दिया गया है। चीन ने कहा है कि ये सभी देश अब राजनीति कर रहे हैं।
ब्रसेल्स (एएनआई)। चीन ने साफ कर दिया है कि वो कोरोना वायरस की उत्पत्ति पर हुई शोध की जानकारियों को किसी भी तरह से तोड़ने या मरोड़ने की कोशिश का पुरजोर विरोध करेगा। यूरोपीयन यूनियन में चीनी मिशन के प्रवक्ता ने कहा कि चीन वैज्ञानिक शोध में ट्रांसपेरेंसी और इसको खोलने के नाम पर हो रही राजनीति का विरोध करता रहेगा। प्रवक्ता का ये बयान यूरोपीयन यूनियन के उस बयान के बाद सामने आया है जिसमें अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान ने कोरोना उत्पत्ति पर हुए दूसरे चरण के शोध पर टिप्पणी की है।
ईयू समेत इन देशों के संयुक्त बयान पर चीन ने कहा है कि ये सभी देश केवल इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं। चीन ने आरोप लगाया है कि ये देश मिलकर कोरोना से छिड़ी लड़ाइ में केवल समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। प्रवक्ता की तरफ से ये भी कहा गया है कि चीन ने कोरोना की उत्पत्ति का पता लगाने के इस संबंध किए गए शोधो में न सिर्फ इसकी अहमियत को समझा बल्कि इसकी खोज में गंभीरता भी दिखाई। इसके लिए वैज्ञानिक, प्रोफेशनल तरीका अपनाया है। उसने इसकी जांच के लिए दो बार विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों को भी अपने यहां पर बुलाया था।
चीन की तरफ से कहा गया है कि इन सभी देशों को इस मुद्दे पर राजनीति से बचना चाहिए और अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए। इन देशों केा दूसरे देशों के साथ सहयोग करना चाहिए और इसकी जांच में रुकावट पैदा नहीं करनी चाहिए। आपको बता दें कि दिसंबर 2019 में इसकी शुरुआत चीन के वुहान से शुरू हुई थी। इसके बाद जनवरी के अंत तक ये भारत, अमेरिका और यूरो के कई देशों में पहुंंच चुका था। मार्च 2020 तक इसके मामले दुनिया के अधिकतर देशों में सामने आ चुके थे।
वर्तमान की यदि बात करें तो दुनिया के कई देश कोरोना महामारी की तीसरी, चौथी या पांचवीं लहर का सामना कर रहे हैं। महामारी की शुरुआत से अब तक कोरोना वायरस में कई बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं। हालांकि इसके बदलाव के बाद सामने आए एल्फा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैरिएंट ऑफ कंसर्न की सूची में डाला हुआ है।