बौद्धों की धार्मिक आजादी पर फिर कुठाराघात, चीन ने तिब्बतियों की प्रथाओं पर लगाई रोक

चीन ने बौद्ध आबादी की धार्मिक आजादी (religious practices of Tibetans) पर फिर कुठाराघात किया है। इस बार तिब्बितयों पर ल्हासा में धार्मिक महीने सागा दावा के दौरान किसी धार्मिक अनुष्ठान को करने से रोक दिया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 04:33 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 04:33 PM (IST)
बौद्धों की धार्मिक आजादी पर फिर कुठाराघात, चीन ने तिब्बतियों की प्रथाओं पर लगाई रोक
चीन ने बौद्ध आबादी की धार्मिक आजादी पर फिर कुठाराघात किया है।

ल्हासा, एएनआइ। चीन ने बौद्ध आबादी की धार्मिक आजादी पर फिर कुठाराघात किया है। इस बार तिब्बितयों पर ल्हासा में धार्मिक महीने 'सागा दावा' के दौरान किसी धार्मिक अनुष्ठान को करने से रोक दिया गया है। फायुल न्यूज पोर्टल के अनुसार 9 मई को ल्हासा सिटी बौद्ध संगठन को भेजे गए एक अधिसूचित सकुर्लर में बुधवार से शुरू हो रहे तिब्बती कैलेंडर के चार महीने में कोई पूजा-पाठ करने से रोक दिया गया है।

बौद्धों के लिए यह अवधि बेहद पवित्र मानी जाती है। हालांकि इस रोक को वजह कोरोना वायरस का संक्रमण फैसले से रोकना बताया गया है। लेकिन इंटरनेशनल कैंपेन फार तिब्बत (आइसीटी) का कहना है कि इसका असली मकसद तिब्बतियों की धार्मिक आजादी को छीनना है।

पिछले हफ्ते चीन में धार्मिक आजादी पर जारी अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया है कि सत्तारूढ़ चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का कहना है कि नागरिकों को सामान्य धार्मिक गतिविधियां निभाने की छूट है। लेकिन सामान्य शब्द को स्पष्ट नहीं किया गया है। यह भी कहा गया है कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नहीं होना चाहिए।

दरअसल चीन केवल तिब्‍बत में लोगों पर ज्‍यादतियां नहीं कर रहा है। वह पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों पर भी जुल्‍म ढा रहा है। हाल ही में समाचार एजेंसी एपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शिनजियांग में साल 2017 से 2019 तक जनसंख्या के आंकड़ों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। चीन ने इस प्रांत में लाखों की संख्या में रहने वाले उइगर मुस्लिमों के लिए यातना शिविर बना रखे हैं।

आस्ट्रेलियन स्ट्रेट्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुस्लिमों, कजाकी व अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों की आबादी में 48.74 फीसद की गिरावट आई है। इसमें पलायन करने और मार दिए गए लोगों की संख्या भी शामिल है। इतना ही नहीं जन्मदर में भी 2017 और 2018 में 43.7 फीसद की कमी आई है। इस क्षेत्र में 71 सालों में इतनी गिरावट इन हाल के वर्षों में नहीं देखी गई है।  

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