परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता का प्रस्‍ताव चीन ने किया खारिज, बोला- अमेरिका न तो गंभीर और न ईमानदार

चीन ने शुक्रवार को अमेरिका के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता में शामिल होने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया।

By Tilak RajEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 05:55 PM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2020 05:58 PM (IST)
परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता का प्रस्‍ताव चीन ने किया खारिज, बोला- अमेरिका न तो गंभीर और न ईमानदार
परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता का प्रस्‍ताव चीन ने किया खारिज, बोला- अमेरिका न तो गंभीर और न ईमानदार

बीजिंग, एएपी। चीन ने शुक्रवार को अमेरिका के साथ परमाणु हथियार नियंत्रण वार्ता में शामिल होने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया। खबरों के मुताबिक, ऐसा कहा जा रहा था कि वाशिंगटन और बीजिंग के बढ़ते तनाव के बीच संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका त्रिपक्षीय हथियार नियंत्रण वार्ता के लिए चीन और रूस के साथ जल्‍द बैठक करेगा। चीन ने अब साफ कर दिया है कि उसका इरादा ऐसी किसी वार्ता में फिलहाल शामिल होने का नहीं है।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका प्रस्तावित वार्ताओं को लेकर 'न तो गंभीर है और न ही ईमानदार'। साथ ही उन्‍होंने कहा कि इसके बजाय अमेरिका को परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करने वाली मौजूदा नई START संधि के विस्तार के लिए रूस के आह्वान का जवाब देना चाहिए। झाओ लिजियान ने कहा, 'देखिए, तथाकथित त्रिपक्षीय हथियारों पर नियंत्रण की चीन की आपत्ति बहुत स्पष्ट है और अमेरिका इससे अच्छी तरह वाकिफ है। इसके बावजूद, अमेरिका इस मुद्दे को लगातार उठाता रहता है और यहां तक कि चीन की स्थिति को बिगाड़ रहा है।'

22 जून को रूस और अमेरिका ने न्यू स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी को बचाने के प्रयास में वियना में वार्ता शुरू की है। दोनों देशों के परमाणु शस्त्रागार को सीमित करने वाले संधि की अविध फरवरी में समाप्त हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने बार-बार वार्ता में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया, इसके बावजूद संयुक्त राज्य अमेरिका की त्रिपक्षीय वार्ता के लिए उम्‍मीद बंधी है।

बता दें कि बीते कुछ दिनों से अमेरिका और चीन के बीच में जो तीखी बयानबाजी चल रही है। अमेरिका लगातार चीन के खिलाफ प्रतिबंधों को कड़ा कर रहा है। वर्तमान में चीन के राजनेता पर लगाया गया प्रतिबंध भी इसकी ही एक कड़ी है। उइगर मुस्लिमों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर काफी समय से अमेरिका ने बेहद सख्‍त रवैया अपनाया हुआ है।

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