आखिर मकसद क्या है ! चीन South China Sea में वायु सेना और नौ सेना को कर रहा है मजबूत

चीन ने पीएलए की चार अन्य शाखाओं-वायु सेना, नौ सेना, रॉकेट फोर्स और साइबर हथियारों के लिए जिम्मेदार स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स के आकार को बढ़ाकर पूरी सेना का लगभग आधा कर दिया है।

By TaniskEdited By: Publish:Tue, 22 Jan 2019 08:15 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jan 2019 08:15 PM (IST)
आखिर मकसद क्या है ! चीन South China Sea में वायु सेना और नौ सेना को कर रहा है मजबूत
आखिर मकसद क्या है ! चीन South China Sea में वायु सेना और नौ सेना को कर रहा है मजबूत

बीजिंग, प्रेट्र। दक्षिण चीन सागर (South China Sea) पर कब्जे को लेकर दुनिया से दुश्मनी मोल लेने वाला चीन अपनी नौ सेना और वायु सेना को अत्यधिक मजबूत बनाने में जुटा है। इसके लिए उसने एक असाधारण रणनीतिक बदलाव करते हुए अपनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को अत्याधुनिक बनाने के लिए थल सेना के आकार में लगभग 50 फीसद तक की कटौती कर दी है। हालांकि, इस कटौती के बाद भी 20 लाख सैनिकों के साथ पीएलए दुनिया की सबसे बड़ी सेना बनी हुई है।

हांग कांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट ने चीन के सरकारी अखबार शिन्हुआ की एक खबर के हवाले से कहा है कि चीन ने पीएलए में उल्लेखनीय बदलाव करते हुए थल सेना के आकार को कम कर दिया है। नौ सेना, वायु सेना और एक नई रणनीतिक इकाई को बढ़ावा दिया है। रविवार को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में शिन्हुआ ने कहा है कि पीएलए के इतिहास में यह असाधारण बदलाव है। लड़ाई से दूर रहने वाली इकाई के आकार को आधा कर दिया गया है। जबकि, अधिकारियों की संख्या में भी 30 फीसद की कटौती की गई है।

राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा सेना में सुधार के लिए शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत पिछले कुछ वर्षो के दौरान पीएलए ने अपने सैनिकों की संख्या में तीन लाख तक कटौती की है।

खबर के मुताबिक पीएलए की चार अन्य शाखाओं-वायु सेना, नौ सेना, रॉकेट फोर्स और साइबर हथियारों के लिए जिम्मेदार स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स के आकार को बढ़ाकर पूरी सेना का लगभग आधा कर दिया है। पहले पीएलए में आकार को लेकर थल सेना का दबदबा था।

हाल के दिनों में चीन ने अपनी नौ सेना में व्यापक बदलाव किए हैं। चीन की नौ सेना के पास अभी एक विमानवाहक युद्धपोत है, जबकि दूसरे का परीक्षण चल रहा है और तीसरे युद्धपोत का निर्माण जारी है। सरकारी मीडिया के मुताबिक चीन अपनी नौ सेना में पांच से छह विमानवाहक युद्धपोत को शामिल करने की तैयारी में है। बता दें कि दक्षिण चीन सागर पर कब्जे को लेकर चीन की आस-पास के देशों से टकराव बना हुआ है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर को अपना बताता है।

शंघाई के सैन्य मामलों के जानकार नी लेक्सियांग का भी कहना है कि चीन की इस रणनीतिक बदलाव में सीमा से दूर अपने हितों की रक्षा का मकसद छिपा है। साथ ही एक दूसरा उद्देश्य देश की सीमा से दूर के क्षेत्रों में भी अपनी ताकत को मजबूत करना है। उनके मुताबिक मौजूदा वक्त में थल सेना की अहमियत कम हो गई है। अब अंतरिक्ष, हवा और साइबर क्षेत्र में दबदबा कायम करने का समय आ गया है।

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