Chinese App Banned: जैसे को तैसा, तुमने पहले खड़ी की वैश्विक दीवार, हमने भी बढ़ाई ऊंचाई

चीन ने अपने यहां पहले से ही बाकी दुनिया के अप्लीकेशनों को बैन कर रखा है उसका फोकस अपने देश में बनाए गए अप्लीकेशन इस्तेमाल करने पर जोर रहता है। अब बाकी दुनिया चीन को बैन कर रही है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 02:55 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 07:11 PM (IST)
Chinese App Banned: जैसे को तैसा, तुमने पहले खड़ी की वैश्विक दीवार, हमने भी बढ़ाई ऊंचाई
Chinese App Banned: जैसे को तैसा, तुमने पहले खड़ी की वैश्विक दीवार, हमने भी बढ़ाई ऊंचाई

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। भारत-चीन के बीच गलवन घाटी में सैनिकों के बीच हुए विवाद के बाद दोनों देशों में संबंध खराब हो गए हैं। सीमा पर बिगड़े हालात के बाद दोनों देशों की सेना के शीर्ष अधिकारी इसे निपटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं मगर आम सहमति नहीं बन पाई है। 

एप्स बैन, नहीं कर सकेंगे इस्तेमाल 

इस घटना के बाद से अब भारत ने चीन के 59 एप्स को प्रतिबंधित कर दिया है, अब ये एप्स भारत में इस्तेमाल नहीं किए जा सकेंगे। इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए सरकार ने कहा कि ये एप्स गुप्त रूप से इसे उपयोग करने वालों के डेटा भारत के बाहर सर्वर पर प्रसारित कर रहे हैं। भारत के इस निर्णय से चीन की कई प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों पर हमला हुआ है, इसमें अलीबाबा (Alibaba), टेसेंट (Tencent) और बैदू (Baidu) शामिल हैं।

चीन ने पहले कर रखा है बाकी दुनिया का अपने देश में एप बैन 

ऐसा नहीं है कि भारत की ओर से ये कदम उठाया गया है बल्कि चीन इससे पहले डिजिटल दुनिया की दीवार ऊंची कर चुका है। चीन ने अपने यहां तमाम तरह के दूसरे देशों के एप्स पर पहले से ही प्रतिबंध लगा रखा है, चीन में उन एप्स को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। बाकी देश अब चीन के उस कदम पर चल रहे हैं, वो अपने यहां चीन के एप्स के इस्तेमाल को रोक रहे हैं।

इस तरह से दुनियाभर के देशों में डिजिटल युग की दीवार लगातार ऊंची होती जा रही है। अब इसके पार जाना शायद ही किसी के लिए संभव हो। डेटा फर्म सेंसर टॉवर के अनुमान के मुताबिक, भारत में टिक टॉक 610 मिलियन से अधिक बार इंस्टॉल किया गया है। संयुक्त राज्य में एप को 165 मिलियन बार इंस्टॉल किया गया है। 

चीन ने शुरू किया था इंटरनेट के लिए दीवार खड़ी करने का काम 

सबसे पहले चीन ने ही वैश्विक इंटरनेट के लिए दीवार खड़ी करने का काम शुरू कर दिया था। उसने अपने यहां Google और Facebook जैसी कंपनियों को प्रतिबंधित कर रखा है, इन दोनों की जगह पर चीन के लोग दूसरा सर्च इंजन और सोशल साइट का इस्तेमाल करते हैं वो चीन की खुद की डेवलप की हुई है। चीन ने ऐसा इसलिए कर रखा है कि उसके देश में विकसित किए गए एप्स का ही इस्तेमाल बढ़े और देश के नागरिकों का डेटा बाहर न जा सके। साथ ही देश के लोगों के बीच हो रही खुफिया और अन्य बातचीत को पकड़ा जा सके।

अब जब ये चीनी साफ्टवेयर अपने देश के निकलकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे थे और कमाई कर रहे थे, इन बैन कर दिए जाने से उनको नुकसान होगा। इस तरह के साफ्टवेयर की बदौलत भी चीन अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाह रहा था जो अब अटक गया है। वाशिंगटन और अन्य पश्चिमी देशों में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। 

बाकी देशों के साफ्टवेयर इस्तेमाल पर चीन में प्रतिबंध 

वेंचर फर्म लाइटस्पीड इंडिया के एक पार्टनर देव खरे का कहना है कि भारत का एप प्रतिबंध लोकलुभावन है। उनका कहना है कि भारत ने अब वो काम किया है जिसे चीन काफी पहले कर चुका है। चीन जब अपने देश में बाकी दूसरे देशों के एप को प्रतिबंधित कर सकता है तो बाकी देशों को भी ये अधिकार है कि वो अपने यहां चीनी एप्स को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दें, या फिर सभी देशों के बीच ये सहमति होनी चाहिए कि जिसको जिस देश का एप पसंद हो वो उसको इंस्टॉल करके उसका इस्तेमाल कर सकता है, यदि ऐसा नहीं हो तो प्रतिबंध लगाना जरूरी भी है।

अमेरिका ने चीन की 5जी कंपनियों हुवेई और जेडटीई को प्रतिबंधित कर दिया है, वहीं यूरोप में चीन की तकनीकी कंपनियों के खिलाफ नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। आस्ट्रेलिया ने बुधवार को अपनी रक्षा रणनीति को सार्वजनिक किया है जिसके तहत अगले 10 वर्षो के दौरान 270 अरब डॉलर रक्षा तैयारियों पर खर्च करने की बात कही गई है ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वह अपने हितों की रक्षा कर सके। 

अमेरिका ने सरकार के फैसले का स्वागत 

अमेरिका के विदेश मंत्री माइकल पोंपियो ने भारत सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा एप की सफाई करने संबंधी कदम से भारत की संप्रभुता मजबूत होगी, अखंडता मजबूत होगी और राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी। पोंपियो का यह बयान तब आया है जब अमेरिका में भी टिक-टॉक पर प्रतिबंध लगाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।  

भारत के फैसले का रिक क्राफॉर्ड समेत कई अमेरिकी सांसदों ने समर्थन किया है। यही नहीं, मंगलवार को अमेरिकी सरकार ने चीन की 5जी तकनीकी कंपनियों हुवेई और जेडटीई पर प्रतिबंध भी लगा दिया है। जानकार मान रहे हैं कि हालात कुछ वैसे ही हैं, जैसा वर्ष 2017 में तब था जब भारत ने चीन की वन बेल्ट-वन रोड (ओबोर) परियोजना पर आयोजित पहली कांफ्रेंस का बहिष्कार किया था। भारत के बहिष्कार के बाद कई देशों ने ओबोर (नया नाम बीआरआइ) परियोजना के खिलाफ स्टैंड लेना शुरू कर दिया। 

ठोक कदम उठाने वाला भारत पहला देश 

इसी तरह से चीन की तकनीकी कंपनियों और मोबाइल एप बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ बात तो कई देश कर रहे थे, लेकिन भारत उनके खिलाफ ठोस कदम उठाने वाला पहला देश बन गया है। भारत ने यह दिखा दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर बड़े आर्थिक हितों को भी दरकिनार कर दो टूक फैसला किया जा सकता है। दुनिया के कई देशों ने टिक-टॉक व दूसरे चीनी तकनीकी कंपनियों पर इसलिए प्रतिबंध नहीं लगा रहे हैं कि उन्हें चीन से बड़ी कार्रवाई होने का भय है।  

chat bot
आपका साथी