चीन: शिनजियांग में अत्याचारों की गवाही दे रहे गिरते जनसंख्या के आंकड़े, आबादी में 48% तक गिरावट

चीन की शिनजियांग में अत्याचारों की इंतेहा पार। 71 साल में पहली बार ऐतिहासिक 48.74 की आबादी में गिरावट। जन्मदर भी 43.7 फीसद हुई कम उइगर मुस्लिमों को मिटाने की साजिश। सबके सामने आया चीन का घिनौना चेहरा।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 02:56 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 02:56 PM (IST)
चीन: शिनजियांग में अत्याचारों की गवाही दे रहे गिरते जनसंख्या के आंकड़े, आबादी में 48% तक गिरावट
चीन के शिनजियांग में आबादी में ऐतिहासिक गिरावट। (फोटो: दैनिक जागरण)

बीजिंग, एपी। शिनजियांग प्रांत में चीन के घिनौने अत्याचार का चेहरा एक बार फिर से बेनकाब हो गया है। चीन के पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में 2017 से 2019 तक जनसंख्या के आंकड़ों में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। इस प्रांत में लाखों की संख्या में रहने वाले उइगर मुस्लिमों पर चीन लगातार जुल्म ढा रहा है। उसने यहां पर यातना शिविर बना रखे हैं। इस क्षेत्र की आबादी के जनसंख्या आंकड़ों का गिरना इस बात की पुख्ता गवाही दे रहे हैं। इस आकलन पर आस्ट्रेलियन स्ट्रेट्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने अपनी पूरी रिपोर्ट दी है। 

रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग में रहने वाले उइगर मुस्लिमों, कजाकी व अन्य अल्पसंख्यक मुस्लिमों की आबादी में 48.74 फीसद की गिरावट आई है। इसमें पलायन करने और मार दिए गए लोगों की संख्या भी शामिल है। यही नहीं जन्मदर में भी 2017 और 2018 में 43.7 फीसद की कमी आई है। इस क्षेत्र में 71 सालों में इतनी गिरावट इन हाल के वर्षो में नहीं देखी गई है। जनसंख्या में यह कमी संयुक्त राष्ट्र की अब तक की जनगणना में पहली बार देखी गई है।

आंकड़ों में इतनी गिरावट सीरिया के गृहयुद्ध और रवांडा और कंबोडिया के नरसंहार में भी नहीं आई थी। शोधकर्ता और रिपोर्ट के सह लेखक नाथन रूसर का कहना है कि जनसंख्या में गिरावट अभूतपूर्व है। इससे अहसास होता है कि शिनजियांग में कितने बड़े पैमाने पर जनसंख्या कम करने की कार्रवाई की जा रही है। अधिकारी किस तरह से यहां अंकुश लगा रहे हैं।

इस रिपोर्ट से जर्मन शोधकर्ता एडरियन जेंज की पिछले साल की उस रिपोर्ट की भी पुष्टि होती है कि चीन नियोजित तरीके से शिनजियांग में जन्मदर कम करने के लिए गर्भपात, बंध्याकरण और बच्चे पैदा करने पर यातना व जुर्माना जैसी कार्रवाई कर रहा है। रिपोर्ट पर चीन की सरकार और विदेश मंत्रालय ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की है।

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