चीन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन, ब्लॉगर को भारी पड़ा गलवन में मारे गए चीनी सैनिकों पर किया पोस्ट
चीन की कम्युनिस्ट सरकार लंबे समय से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करती आ रही है। इसका ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब एक ब्लॉगर ने भारत के साथ झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के संबंध में पोस्ट किया।
बीजिंग, एएनआइ। चीन की कम्युनिस्ट सरकार लंबे समय से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करती आ रही है। इसका ताजा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब एक ब्लॉगर ने भारत के साथ झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों के संबंध में पोस्ट किया। इसके बाद शी चिनफिंग सरकार ने ब्लॉगर पर सैनिकों को बदनाम करने और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालने का आरोप लगाया है।
दरअसल, 38 वर्षीय की जिमिंग के चीन के ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म वीबो पर 25 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। उन्होंने गलवन घाटी संघर्ष से जुड़े दो पोस्ट किए थे। संघर्ष के दौरान मौके पर मौजूद सबसे उच्च अधिकारी के बचने को लेकर जहां उन्होंने सवालिया निशाना उठाया था, वहीं यह भी कहा था कि हो सकता है कि इस संघर्ष में और भी सैनिक मारे गए हों।
जून 2020 में गलवन घाटी में हुई थी झड़प
बता दें कि अभी हाल ही में चीन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था कि गलवन घाटी संघर्ष के दौरान उसके चार सैनिक मारे गए थे। हालांकि रूसी समाचार एजेंसी ने 45 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कही है। जून 2020 में गलवन घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बाद एलएसी पर जबरदस्त तनाव देखने को मिला था। दोनों ही तरफ से सीमा पर सेना का जमावड़ा बढ़ाया गया था।
जिमिंग को पिछले महीने हिरासत में लिया गया
पूर्वी चीनी शहर नानजिंग में पुलिस ने की जिमिंग को पिछले महीने हिरासत में लिया था। इस दौरान नानजिंग ब्यूरो ऑफ पब्लिक सिक्योरिटी ने कहा कि उन्हें झूठी सूचना पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। चीनी कम्युनिस्ट सरकार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन करने का आरोप लगता रहा है। पिछले कुछ सालों में ऐसे भी मामले सामने आए हैं कि सरकार की आलोचना करने वाले लोग अचानक गायब हो जाते हैं। उनकी कोई खोज-खबर नहीं मिलती।