चीन के दबावों को दरकिनार कर ताइवान-सोमालिया ने मिलाया हाथ
लोकतांत्रिक देश ताइवान ने चीन के दबावों को दरकिनार करते हुए सोमालिया से हाथ मिला लिए हैं।
ताइपेई (एपी)। ताइवान ने सोमालिया के साथ हाथ मिलाकर नए कूटनीतिक संबंध बनाए हैं। चीन की ओर से बढ़े दबाव के कारण लोकतांत्रिक देश ताइवान के संबंध सीमित होकर मात्र 15 देशों के साथ रह गए हैं और इस कारण से अब यह संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता भी खो चुका है। इसके अलावा जिन अंतरराष्ट्रीय संगठनों में बीजिंग का वर्चस्व है उनसे भी यह बाहर है। दरअसल, ताइवान पर चीन अपना दावा करता है और यह भी धमकी देता है कि आवश्यकता पड़ने पर वह सैन्य ताकत का भी इस्तेमाल कर सकता है। चुनावों व जनमत सर्वेक्षण में ताइवान की जनता चीन के साथ राजनीतिक एकीकरण को खारिज कर चुकी है।
सोमालिया से अलग हुए हो गए 29 साल
सोमालिया से सोमालीलैंड वर्ष 1991 में गृहयुद्ध के बाद अलग हुआ था। साथ ही इस दौरान हिंसा व चरमपंथी हमलों का भी सामना करना पड़ा था। अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं होने के बावजूद इस क्षेत्र की अपनी स्वतंत्र सरकार, मुद्रा और सुरक्षा व्यवस्था है। 1 जुलाई को ताइवान की विदेश मंत्रालय की वेबसाइट बयान में मंत्री जोसेफ वु ( Joseph Wu ) ने कहा कि दोनों सरकारों ने 'मित्रता और स्वतंत्रता, लोकतंत्र, न्याय और कानून के शासन के साझा मूल्यों के आधार पर' संबंध स्थापित करने को लेकर सहमति जताई है। वु ने कहा, परस्पर लाभ की भावना से ताइवान और सोमालीलैंड मत्स्य, कृषि, ऊर्जा, खनन, लोक स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में सहयोग करेंगे।' इस क्रम में सोमालीलैंड के विदेश मंत्री यासिन हागी महमूद व जोसेफ वु ने 26 फरवरी को ताइपेइ में द्विपक्षीय संबंधों पर हस्ताक्षर किए। ताइवान की ओर से क्षेत्र के छात्रों को छात्रवृत्ति मुहैया कराई जा रही है। सोमालीलैंड की कुल आबादी 39 लाख है।
चीन का विरोध-
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान (Zhao Lijian) ने सोमवार को बताया कि चीन का सोमालिया के साथ संबंध है और ताइवान पर आरोप लगाया कि वह ' सोमाली की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमतर' कर रहा है। झाओ ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ' ताइवान और सोमालीलैंड के बीच आधिकारिक एजेंसी स्थापित करने या किसी तरह के आधिकारिक समझौते का चीन विरोध करता है।'