भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने की तैयारी, ऑस्ट्रेलिया PM ने कहा- इंडो-पैसिफिक गठबंधन बनाना महत्वपूर्ण प्राथमिकता
प्रधानमंत्री मॉरिसन भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दिलचस्पी के कारण एक क्षेत्रीय गठबंधन का विचार दिया है। कहा कि इंडो-पैसिफिक गठबंधन बनाना हमारी महत्वपूर्ण प्राथमिकता होगी
सिडनी, एजेंसी। भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के चलते समान विचारधारा एवं मूल्य वाले देशों में क्षेत्रीय एकजुटता को बढ़ावा मिला है। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बुधवार को कहा कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों को एकजुट होना चाहिए। उन्होंने समान मूल्यों एवं विचारधारा वाले देशों को एक मंत्र पर आने का आमंत्रण दिया है। प्रधानमंत्री मॉरिसन भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दिलचस्पी के कारण एक क्षेत्रीय गठबंधन का विचार दिया है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्रीय स्थिरता एंव शांति के लिए आवश्यक है। ऑस्ट्रेलिया प्रधानमंत्री ने कहा कि इंडो-पैसिफिक गठबंधन बनाना हमारी महत्वपूर्ण प्राथमिकता' होगी।
चीनी दखल ने यहां के सामरिक समीकरण को बदला
मॉरिसन ने ऐस्पन सिक्योरिटी फोरम के वार्षिक सम्मेलन में जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में भारत-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक प्रतिस्पर्द्धा बढ़ी है। इसके चलते क्षेत्रीय तनाव में भारी इजाफा हुआ है। खासकर चीन की बढ़ते दखल ने यहां के सामरिक समीकरण को बदल दिया है। ऐसे में इस क्षेत्र को नए दृष्टिकोण से समझने की जरूरत है। बता दें कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते इस बार यह बैठक वर्चुअल हुई है। अहम है।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 38 देश शामिल
मौजूदा समय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में 38 देश शामिल हैं। यह विश्व के कुल भू-भाग के 44 फीसद है। विश्व की कुल आबादी का 65 फीसद, विश्व की कुल GDP का 62 फीसद तथा विश्व के माल व्यापार का 46 फीसद योगदान देता है। इसमें क्षेत्रीय व्यापार और निवेश के अवसर पैदा करने हेतु सभी घटक मौजूद हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में भू-आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा भी जोर पकड़ रही है। इस लिहाज से वैश्विक सुरक्षा और नई विश्व व्यवस्था की कुंजी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के हाथ में ही है। गुआन आइलैंड, मार्शल आइलैंड रणनीतिक दृष्टि से अहम है। लाल सागर, गल्फ आफ अदेन और पर्शियन गल्फ ऐसे क्षेत्र हैं, जहाँ से भारत का तेल व्यापार होता है। यहाँ पर हाइड्रोकार्बन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। सेशेल्स और मालदीव भी इसी क्षेत्र में आते हैं।
भारत-प्रशांत पर अमेरिका की पैनी नजर
भारत-प्रशांत रणनीति विगत कई महीनों से चर्चा में है। अमेरिका सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वृहद् भारत-अमेरिकी सहयोग की हिमायत कर रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विधि सम्मत, मुक्त व्यापार, आवाजाही की आज़ादी और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए उपयुक्त ढांचा बनाना, इस रणनीति के मुख्य भाग हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त एवं स्वतंत्र क्षेत्र बनाने के लिए ट्रंप प्रशासन भारत-जापान संबंधों के महत्त्व को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुका है। भारत-प्रशांत रणनीति का प्रमुख हितधारक अमेरिका है। यही कारण है कि उसने एशिया उपमहाद्वीप में अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अपनी पैसिफिक कमांड स्ट्रेटेजी को बदलकर इंडो-पैसिफिक स्ट्रेटेजी का नया नाम दिया है। अमेरिका एशियाई क्षेत्र के देशों पर अपना प्रभुत्व और प्रभाव प्रदर्शित करना चाहता है साथ ही वह चीन के तेजी के साथ विश्व महाशक्ति के रूप में उभरने को काउंटर करना चाहता है।