काबुल में चीन, रूस और पाकिस्‍तान के दूतों ने सुधारों के लिए तालिबान को समझाया, करजई और अब्दुल्ला से भी मुलाकात की

अफगानिस्तान पहुंचकर चीन रूस और पाकिस्तान के विशेष दूतों ने वहां तालिबान की अंतरिम सरकार और पूर्व नेताओं से बात की है। इन लोगों ने समावेशी सरकार आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और मानवीय स्थिति के मसलों पर बात की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:39 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 12:52 AM (IST)
काबुल में चीन, रूस और पाकिस्‍तान के दूतों ने सुधारों के लिए तालिबान को समझाया, करजई और अब्दुल्ला से भी मुलाकात की
अफगानिस्तान पहुंचकर चीन, रूस और पाकिस्तान के विशेष दूतों ने वहां तालिबान सरकार और पूर्व नेताओं से बात की है।

बीजिंग, पीटीआइ। अफगानिस्तान पहुंचकर चीन, रूस और पाकिस्तान के विशेष दूतों ने वहां तालिबान की अंतरिम सरकार और पूर्व नेताओं से बात की है। इन लोगों ने समावेशी सरकार, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई और मानवीय स्थिति के मसलों पर बात की। काबुल पहुंचे तीन देशों के विशेष दूतों ने 21 और 22 सितंबर को अफगानिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद हसन अखुंद, विदेश मंत्री अमीर खान मुताकी, वित्त मंत्री और उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों से बात की।

विशेष दूतों ने अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और मुख्य कार्यकारी रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला से भी मुलाकात की। यह जानकारी चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने दी है। यह पहला मौका था जब तालिबान शासन में किसी विदेशी राजनयिक ने काबुल जाकर वहां रह रहे हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला से मुलाकात की है।

तालिबान विरोधी पूर्व सरकारों के ये शीर्ष नेता 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के समय से ही वहां मौजूद हैं। शुरुआती दिनों में दोनों नेताओं से तालिबान नेताओं ने भी बात की और सरकार के कामकाज को लेकर उनसे सलाह ली थी।

तीनों राजनयिकों का यह दौरा संयोग से उस समय हुआ है जब तालिबान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस को पत्र लिखकर अपने प्रवक्ता सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का नया राजदूत बनाने के लिए कहा है। तालिबान ने गुटेरस से संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76 वें सत्र में शामिल होने और बोलने का अधिकार दिए जाने की भी मांग की है। यह सत्र इन दिनों संयुक्त राष्ट्र के न्यूयार्क स्थित मुख्यालय में चल रहा है।

उल्लेखनीय है कि चीन, रूस और पाकिस्तान तालिबान सरकार के परोक्ष समर्थन में हैं। तीनों देश तालिबान सरकार से अफगानिस्तान में कुछ बिंदुओं पर स्वीकार्य स्थितियां तैयार करने की अपेक्षा कर रहे हैं जिससे वे इस अंतरिम सरकार का औपचारिक समर्थन कर सकें।

विश्व बिरादरी को तालिबान से आतंकवाद, समावेशी सरकार, मानवाधिकारों अधिकारों को लेकर अपेक्षाएं हैं, उन पर तालिबान के सकारात्मक रुख दिखाने पर सरकार के समर्थन पर विचार होगा। फिलहाल किसी भी देश ने तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। 

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