चीन के शंघाई में 18 दिन में 62 मीटर तक खिसकाई गई 5 मंजिला स्कूल की इमारत

हुआंगपू जिले की पुरानी ऐतिहासिक इमारत को सहेजने के लिए 198 उपकरण लगाए गए। सबसे पहले बिल्डिंग के चारों ओर खुदाई की गई। इमारत के स्तंभों के अलग होने के बाद रोबोटिक पैरों के जरिये उसे ऊपर उठाया गया और आगे बढ़ाया गया।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 04:45 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 04:45 PM (IST)
चीन के शंघाई में 18 दिन में 62 मीटर तक खिसकाई गई 5 मंजिला स्कूल की इमारत
18 दिनों में इमारत को 21 डिग्री घुमाया और 62 मीटर दूर खिसकाया गया। (फाइल फोटो)

बीजिंग, एजेंसी। घर में व्यक्ति की पसंद के मुताबिक वस्तुओं के स्थान परिवर्तन तो होते रहते हैं, लेकिन कभी सुना है कि बिल्डिंग का ही स्थान परिवर्तन कर दिया जाए। शंघाई में पहली बार पांच मंजिला इमारत के साथ ऐसा किया गया। 85 साल पुराने प्राथमिक स्कूल को मशीन के माध्यम से उठाकर पुनस्र्थापित किया गया। 

हुआंगपू जिले की पुरानी ऐतिहासिक इमारत को सहेजने के लिए 198 उपकरण लगाए गए। सबसे पहले बिल्डिंग के चारों ओर खुदाई की गई। इमारत के स्तंभों के अलग होने के बाद रोबोटिक पैरों के जरिये उसे ऊपर उठाया गया और आगे बढ़ाया गया। 18 दिनों में इमारत को 21 डिग्री घुमाया और 62 मीटर दूर खिसकाया गया। इमारत को अब विरासत के संरक्षण और सांस्कृतिक शिक्षा के लिए उपयोग किया जाएगा। व्यावसायिक कार्यालय को बनाने के लिए इस बिल्डिंग को हटाया गया, जो 2023 में बनकर तैयार होगी।  

चीन वैसे भी अपने यहां तमाम तरह की अजीबोगरीब बिल्डिंगों और पुलों के लिए जाना जाता है। यहां पहाड़ों को काटकर कई ऐसी बिल्डिंगें और पुल बनाए गए हैं जो दुनिया के लिए उदाहरण है। घूमती हुई बिल्डिंगें और झूलते हुए पुल बनाने के लिए चीन की तकनीक की सारी दुनिया में प्रशंसा होती है। 

चीन, दुबई, अमेरिका, रूस और कुछ अन्य देशों में गगनचुंबी इमारतें बनाने की होड़ लगी हुई है। कई देश अपने यहां की पुरानी ऐतिहासिक इमारतों को सहेजने में नई तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। देखने में आ रहा है कि यदि कोई पुरानी ऐतिहासिक इमारत किसी ऐसी जगह पर है जहां उसे अब खतरा हो रहा है तो उसे तकनीकी की सहायता से दूर हटाया जा रहा है। अभी इसी तरह से पुराने पेड़-पौधों को भी शिफ्ट करने में तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे इनको बचाया और सहेजा जा सके। 

मिस्र ने अपनी ऐतिहासिक धरोहरें बचाने के लिए बहुत काम किया है। अबु सिम्बल के मंदिर इसकी सबसे बड़ी मिसाल है, जिसे नील नदी पर बनने वाले अस्वान बांध की वजह से एक जगह से हटाकर दूसरी जगह पर ले जाया गया था। इस मंदिर को हटाने के लिए लगभग पांच साल तक मशक्कत की गई। मंदिर के टुकड़े-टुकड़े करके उसे उठाया गया और उसी पहाड़ी पर लगभग 60 मीटर ऊंचाई पर लाकर फिर से जोड़कर उसी तरह से तैयार किया गया। इसमें बादशाह रैमसेस के मंदिर को 860 टुकड़ों में काटा गया। वहीं रानी के मंदिर को दो सौ से ज्यादा टुकड़ों में काटकर दूसरी जगह ले जाया गया।

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