कोरोना महामारी से माताओं में बढ़ीं मानसिक समस्याएं, पढ़ें- अध्ययन में सामने आईं बातें

कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के नतीजों के अनुसार कोरोना महामारी के दौर में नई माताओं के मनोचिकित्सकों के पास पहुंचने के मामले 30 फीसद तक बढ़ गए हैं। इनमें खासतौर से एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं पाई जा रही हैं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 04:13 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 04:13 PM (IST)
कोरोना महामारी से माताओं में बढ़ीं मानसिक समस्याएं, पढ़ें- अध्ययन में सामने आईं बातें
कोरोना महामारी से माताओं में बढ़ीं मानसिक समस्याएं, पढ़ें- अध्ययन में सामने आईं बातें

टोरंटो, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) का कहर पिछले डेढ़ साल से जारी है। इस महामारी के चलते न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी बल्कि मानसिक समस्याएं भी बढ़ गई हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना महामारी का माताओं की मानसिक सेहत पर गहर असर पड़ रहा है। इनमें मानसिक समस्याएं बढ़ गई हैं। शिशु को जन्म देने के बाद पहले तीन महीने में हर पांच में से एक महिला को मानसिक रोग से पीडि़त पाया गया है। इसका न सिर्फ शिशु बल्कि पूरे परिवार पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ सकता है।

कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के नतीजों के अनुसार, कोरोना महामारी के दौर में नई माताओं के मनोचिकित्सकों के पास पहुंचने के मामले 30 फीसद तक बढ़ गए हैं। इनमें खासतौर से एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं पाई जा रही हैं।

कनाडा के वूमेंस कालेज हास्पिटल की प्रमुख मनोरोग चिकित्सक सिमोन विगोड ने कहा, 'मार्च, 2020 से इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। महामारी के चलते बढ़ी इस समस्या पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।' शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष गत वर्ष मार्च से नवंबर के दौरान एक लाख 37 हजार 609 लोगों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला है। शोधकर्ताओं ने बताया कि शिशु के जन्म के बाद हर पांच माताओं में से एक को मानसिक बीमारी से पीडि़त पाया गया। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है तो इसका न सिर्फ शिशु बल्कि परिवार पर भी गहरा असर पड़ सकता है। 

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