उइगरों के मुद्दे पर कनाडा और चीन आमने-सामने, हाउस ऑफ कॉमन में ड्रेगन के खिलाफ प्रस्‍ताव हुआ पारित

कनाडा की संसद में चीन के ि‍खिलाफ प्रस्‍ताव पारित होने से चीन बौखलाया हुआ है। इस प्रस्‍ताव में चीन के उइगरों के प्रति रवैये को एक नरसंहार का नाम दिया गया है। चीन का कहना है कि ये प्रस्‍ताव दुर्भावना से भरा है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 02:54 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 02:54 PM (IST)
उइगरों के मुद्दे पर कनाडा और चीन आमने-सामने, हाउस ऑफ कॉमन में ड्रेगन के खिलाफ प्रस्‍ताव हुआ पारित
कनाडा की संसद में चीन के खिलाफ प्रस्‍ताव पारित

ओटावा (रॉयटर्स)। चीन के शिनजियांग प्रांत में उगइर मुस्लिमों के साथ हो रही दुर्व्‍यवहार की गूंज अब विश्‍व स्‍तर पर सुनी जा रही है। कनाडा की संसद में चीन की सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ एक प्रस्‍ताव पास कर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से अपील की गई की वो चीन के खिलाफ कार्रवाई करें। इस प्रस्‍ताव में चीन की सरकार के उइगर मुस्लिमों के प्रति रवैये को एक नरसंहार बताया गया है। इसको लेकर सोमवार को संसद में मतदान किया गया। इसके पक्ष में जहां 266 वोट पड़े वहीं विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।

इस प्रस्ताव में पीएम ट्रूडो से अपील की गई है कि वो इसकी आधिकारिक घोषणा करें कि चीन का रवैया उइगरों के लिए नरसंहार जैसा है। इसमें ये भी कहा गया है कि यदि चीन का यही रवैया इस समुदाय के प्रति आगे भी जारी रहता है तो यहां पर वर्ष 2022 में होने वाले विंटर ओलंपिक का आयोजन किसी अन्‍य स्‍थान पर किया जाए। कनाडा के इस प्रस्‍ताव पर चीन ने अपनी कड़ी नाराजगी व्‍यक्‍त की है। चीन का कहना है कि इस तरह का प्रस्‍ताव बेहद दुर्भावनापूर्ण है। कनाडा स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा है कि इस तरह का प्रस्‍ताव चीन के विकास को रोकने की सोची समझी साजिश है जो किसी भी सूरत से सफल नहीं हो सकेगी। इस बयान में कनाडा के सांसदों के खिलाफ बेहद कड़े शब्‍दों का प्रयोग किया गया है।

आपको बता दें कि सोमवार को कनाडा की संसद से पारित इस प्रस्‍ताव से पहले शुक्रवार को कनाडा के पीएम ने कहा था कि चीन की सरकार द्वारा शिनजियांग के उगर समदुाय के खिलाफ द्वेषपूर्ण रवैया इख्तियार करने की खबरें आ रही हैं। उइगरों के लिए डिटेंशन कैंपों का बनाया जाया और जबरन उन्‍हें इन कैंपों में रखने, उनकी मस्जिदों को तोड़ने जैसी कई खबरें पहले भी चीन से आती रही हैं। मावाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक डिटेंशन कैंपों में दस लाख से अधिक लोगों को रखा गया है। इस समुदाय के खिलापु इस तरह के भेदभावपूर्ण रवैये को सही नहीं कहा जा सकता है।

गौरतलब है कि उइगरों के खिलाफ चीन के रवैये को देखते हुए अमेरिका ने पिछले वर्ष एक कानून बनाया था। इसके मुताबिक अमेरिका को उन चीन के अधिकारियों के खिलापु कार्रवाई करने का अधिकार था जो इसमें लिप्‍त हैं। कानून लागू होने के बाद अमेरिका ने चीन के कई अधिकारियों पर प्रतिबंध भी लगाए थे। बदले में चीन ने भी अमेरिकी अधिकारियों को प्रतिबंधित करने का काम किया था। राष्‍ट्रपति बाइडन ने भी पिछले दिनों चीन के इस रवैये पर सख्‍त एतराज जताया था। उनका कहना था कि पूरी दुनिया इस बात से वाकिफ है कि चीन उइगरों के साथ कैसे पेश आता है। उन्‍होंने ये भी कहा था कि यदि उनके खिलाफ मानवाधिकार उल्‍लंघन के मामले चीन की तरफ से बंद नहीं होते हैं तो इसकी उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी।

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