कोविड-19 पर नहीं पाया गया काबू तो 2022 तक सुस्‍त बनी रहेगी वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर- World Bank

विश्‍व बैंक ने अपनी ग्‍लोबल इकनॉमिक प्रोस्‍पेक्‍ट 2021 रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें कहा गया है कि यदि कोरोना वायरस या कोविड-19 महामारी पर काबू नहीं पाया गया तो इसका असर 2022 तक भी दिखाई दे सकता है

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 12:21 PM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 12:56 PM (IST)
कोविड-19 पर नहीं पाया गया काबू तो 2022 तक सुस्‍त बनी रहेगी वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर- World Bank
विश्‍व की आर्थिक वृद्धि दर को बढ़ाने के लिए कड़े कदम उठाने जरूरी

वाशिंगटन (संयुक्‍त राष्‍ट्र)। विश्व बैंक ने मौजूदा वर्ष के लिए वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर अपनी एक अनुमानित रिपोर्ट जारी की है। विश्‍व बैंक की इस रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्‍यस्‍था आर्थिक वृद्धि के दर चार फीसद रहने संभावना जताई गई है। इस रिपोर्ट में स्‍पष्‍ट किया गया है कि पूरी दुनिया में छाई महामारी के प्रभावों की वजह से दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था के बाहर आने की प्रक्रिया कुछ धीमी रहेगी। विश्‍व बैंक की ये रिपोर्ट ग्‍लोबल इकनॉमिक प्रोस्‍पेक्‍ट (Global Economic Prospects)के नाम से जारी की गई है। वर्ल्‍ड बैंक ने वर्ष के शुरुआती माह को लेकर चेतावनी भी दी है कि महामारी को देखते हुए और अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार के लिए नीतिनिर्धारकों को ठोस कदम उठाने होंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है यदि महामारी को जल्‍द खत्‍म नहीं किया गया तो इसका असर न सिर्फ इस साल बल्कि अगले साल तक बना रह सकता है और वैश्विक वृद्धि की रफ्तार सुस्‍त हो सकती है।

वर्ल्‍ड बैंक का अनुमान 

इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वर्ष 2020 में दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था में 4.3 फीसद की कमी आई थी, लेकिन अब ये एक बार फिर से बढ़ोतरी की तरफ अग्रसर है। हालांकि कोविड-19 महामारी की वजह से लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इस महामारी की वजह से गरीब लोग और अधिक गरीब हुए हैं। रोजगार पहले की अपेक्षा कम हुए हैं और बेरोजगारी में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। विश्‍व बैंक ने इस बात की भी आशंका जताई है कि विश्‍व की आर्थिक गतिविधियों पर ये असर आने वाले समय में भी जारी रह सकता है।

करना होगा तेजी से काम 

मौजूदा महामारी संकट पर ध्‍यान आकर्षित करते हुए विश्‍व बैंक के विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना वायरस के फैलाव पर काबू पाने के लिए देशों को तेजी से काम करना होगा। साथ ही वैक्‍सीन को ही लोगों तक पहुंचाने में तेजी दिखानी होगी। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि आर्थिक पुनर्बहाली के देशों को पुनर्निवेश प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा। लेकिन ये ऐसी होनी चाहिए जो टिकाऊ आर्थिक वृद्धि पर लक्षित हो। इसके अलावा इसकी सरकारी कर्ज पर भी निर्भरता कम होनी चाहिए।

बनाना होगा बेहतर माहौल 

विश्व बैंक के प्रमुख डेविड मैलपास के मुताबिक अर्थव्यवस्था में हल्के सुधार के बीच नीतिनिर्धारकों को कर्ज प्रबंधन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, केंद्रीय बैंकिंग और ढाँचागत सुधारों और बजट नीति में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि व्‍यवसाय के लिए बेहतर माहौल बनाया जाए। साथ ही श्रम और उत्पाद बाजार को लचीला बनाया जाए। इसके अलावा पारदर्शिता और शासन प्रणाली को मजबूती दी जाए। इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि महामारी की वजह से विश्‍व की ज्‍यादातर उभरती हुई आर्थिक शक्तियां प्रभावित हुई हैं। विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर भी कोरोना महामारी का काफी असर देखने को मिला है।

महामारी का असर गरीब देशों पर अधिक 

बैंक के चीफ इकनॉमिस्‍ट कारमैन राइनहार्ट के मुताबिक विश्‍व अर्थव्‍यस्‍था को हुए नुकसान का सबसे बड़ा असर गरीब और निर्बल लोगों पर देखने को मिला है। ऐसे देशों में जहां पर इसका असर काफी व्‍यापक हुआ है वहां पर ज्‍यादा काम करने की जरूरत है। इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि संक्रमण की दर को कम नहीं किया गया तो वैश्विक आर्थिक वृद्धि की दर 1.6 फीसद तक रह जाएगी। लेकिन वहीं यदि इसको काबू में कर लिया गया तो ये दर पांच फीसद तक भी जा सकती है।

अमेरिका, जापान और चीन के लिए अनुमान 

रिपोर्ट के मुताबिक महामारी की वजह से अमेरिका जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) मौजूदा वर्ष में 3 फीसद से अधिक की दर से बढ़ने का अनुमान है। वर्ष 2020 में इसमें 3.6 फीसद की गिरावट दर्ज की गई थी। यूरोजोन वाले देशों की बात करें तो वहां पर इतने ही फीसद की उम्‍मीद जताई गई है। वहीं जापान में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार करीब ढाई फीसद रहने की उम्‍मीद है। चीन की अर्थव्‍यवस्‍था में करीब आठ फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है। 

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