WHO vs Trump: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर बढ़ सकता है टकराव, राष्‍ट्रपति करते थे इसका नियमित सेवन

इस फैसले के बाद यह आशंका प्रबल हो गई है कि एक बार फ‍िर डब्ल्यूएचओ और राष्‍ट्रपति ट्रंप आमने-सामने हो सकते है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 08:50 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 09:31 AM (IST)
WHO vs Trump: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर बढ़ सकता है टकराव, राष्‍ट्रपति करते थे इसका नियमित सेवन
WHO vs Trump: हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर बढ़ सकता है टकराव, राष्‍ट्रपति करते थे इसका नियमित सेवन

जेनेवा, एजेंसी। कोरोना महामारी के दौरान सुर्खियों में रहने वाली मलेरिया-रोधी-दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षण पर रोक लग गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को कोरोना वायरस के उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ​​परीक्षण को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। इस फैसले के बाद यह आशंका प्रबल हो गई है कि एक बार फ‍िर डब्ल्यूएचओ और राष्‍ट्रपति ट्रंप आमने-सामने हो सकते है। यह टकराव भले ही सामने न आए, लेकिन ट्रंप इस लेकर मन में गांठ जरूर बांध लेंंगे। इस तरह दुनियाभर में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के प्रयोग को लेकर वाद-विवाद का दौर जारी है।  

राष्‍ट्रपति ट्रंप को लगा जोर का झटका 

डब्ल्यूएचओ के इस फैसले से अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को निश्चित रूप से जोर का झटका लगा होगा। ट्रंप ने कोरोना वायरस से लड़ने में एक संभावित गेम-चेंजर के रूप में बार-बार हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किया है।  ट्रंप ने भारत पर काफी दबाव बनाकर इस दवा को मंगवाया था। दवा मिलने पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को थैंक्‍स भी बोला था। इत्‍ता ही नहीं, दवा नहीं देने पर भारत को अप्रत्‍यक्ष रूप से धमकाया भी था। राष्‍ट्रपति ट्रंप इस दवा के सबसे बड़े प्रशंसक और प्रचारक हैं। विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद वह इस दवा की सराहना करते रहते हैं। उन्‍होंने कई मौकों पर इस कोरोना वायरस से बचने के लिए दवा को लेने का पाठ भी पढ़ाया। अभी हाल में मलेरिया-रोधी-दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन तब सुर्खियों में आई जब ट्रंप ने कहा कि वह नियमित रूप से इस दवा का सेवन करते हैं। यह राज खुलने के बाद विपक्ष ने उन पर प्रहार शुरू कर दिया, लेकिन वह अपने स्‍टैंड पर कायम रहे।

ट्रंप और डब्ल्यूएचओ के बीच शीत युद्ध तेज होने के आसार 

कोरोना महामारी के बाद राष्‍ट्रपति ट्रंप और डब्ल्यूएचओ के बीच एक शीत युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। ऐसे में डब्ल्यूएचओ के साथ यह विवाद और गहरा सकता है। राष्‍ट्रपति ट्रंप का मानना है कि डब्ल्यूएचओ और चीन की मिलीभगत से कोरोना वायरस का प्रसार पूरी दुनिया में हो गया। उनका मानाना है चीन के दबाव के चलते ही डब्ल्यूएचओ ने कोरोना से जुड़ी जानकारियों को छिपाया है। उसने दुनिया को अंधेरे में रखा, जिससे कोरोना को पांव पसारने का मौका मिल गया।  

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने द‍िया ये तर्क 

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घिबेयियस कहा कि लैंसेट मेडिकल जर्नल में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक पेपर के मद्देनजर इस कदम को उठाया गया है। गौरतलब है इस पेपर में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को हृदय के लिए घातक बताया गया है। इसमें कहा गया है कि इससे जान जाने का भी खतरा है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना रोगियों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन के उपयोग चिंता का विषय है। प्रमुख ने कहा कि मैं यह दोहराना चाहता हूं कि ये दवाएं ऑटोइम्यून बीमारियों या मलेरिया के रोगियों में उपयोग के लिए आमतौर पर सुरक्षित हैं।

दवा के पक्ष और विपक्ष में दिए गए तर्क  कोरोना वायरस की बीमारी में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपयोगिता को लेकर तरह-तरह दावे किए जा रहे हैं और इस दिशा में कुछ अन्‍य शोध भी हुए हैं। कोरोना के लिए जिन दवाओं से इलाज की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है, उसमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी एक है। लेकिन इसके उपयोग पर वाद विवाद बना हुआ है।  पैन अमरीकन हेल्थ ऑर्गनाइजेशन  (पाहो) ने छह अप्रैल को चेतावनी दी थी कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर किए जा रहे दावों को सही साबित करने वाला कोई ठोस सबूत अभी तक सामने नहीं आया है। संस्‍था ने कहा कि  जब तक कोई ठोस सबूत न मिल जाए तब तक इस दवा से परहेज करना चाहिए। पाहो ने अमरीका की सरकार से इसके इस्तेमाल से परहेज करने की अपील की है। संस्‍था का दावा है क्लोरोक्वीन या हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं। इससे व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है और यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है।  एक फ्रांसीसी डॉक्टर ने सोमवार को दावा किया था कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन मरीजों को कोरोना वायरस से उबरने में मदद कर सकती है। उन्होंने उस अध्ययन को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि इस दवा का कोई लाभ नहीं है। मार्सेल के रहने वाले डॉक्टर प्रोफेसर डिडियर राउल्ट को संकट की इस घड़ी में फ्रांस में बड़ी पहचान हासिल हुई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने डॉक्टर राउल्ट से मुलाकात भी की थी। 

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