एंटीवायरल गोलियों के लिए 320 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा अमेरिका, खतरनाक वायरसों से लड़ने की तैयारी

अमेरिका COVID-19 और अन्य खतरनाक वायरस के लिए एंटीवायरल दवाओं के विकास को आगे बढ़ाने के लिए 320 करोड़ डॉलर निवेश की तैयारी कर रहा है। ये दवाएं कोरोना और कोरोना जैसे कई वायरस के खिलाफ काम करेंगी जो भविष्य में महामारी में बदल सकते हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 07:28 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 07:28 AM (IST)
एंटीवायरल गोलियों के लिए 320 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा अमेरिका, खतरनाक वायरसों से लड़ने की तैयारी
अमेरिका कर रहा भविष्य के लिए तैयारी।(फोटो: दैनिक जागरण)

वाशिंगटन, एपी। अमेरिका कोरोना और अन्य ऐसे खतरनाक वायरसों, जो आगे चलकर महामारी में बदल सकते हैं, के लिए एंटीवायरल गोलियों का विकास करेगा। इसके लिए वह 320 करोड़ डालर (23,754 करोड़ रुपये) का निवेश करने की योजना बना रहा है। देश के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. एंथनी फासी ने व्हाइट हाउस में एक ब्रीफिंग के दौरान इस निवेश की घोषणा की। यह निवेश महामारी के लिए नए एंटीवायरल प्रोग्राम के हिस्से के रूप में किया जाएगा। इसका मकसद कोरोना वायरस जैसे संभावित खतरनाक वायरस के कारण उत्पन्न लक्षणों को दूर करने के लिए दवाइयों का विकास करना है।

कोविड के लिए विकसित दवाओं का उपयोग संक्रमण के बाद लक्षणों को कम करने के लिए किया जाएगा। ये अभी विकास के चरण में हैं और क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने तक साल के अंत तक आ सकती हैं। वित्त पोषण से क्लीनिकल ट्रायल को गति मिलेगी और यह निजी क्षेत्र को अनुसंधान, विकास और विनिर्माण में अतिरिक्त सहायता प्रदान करेगा।

कोरोना के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर भारत की दवा 2-डीजी 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की कोरोना रोधी दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ कारगर है और वायरस में वृद्धि को कम करती है। एक नवीनतम अध्ययन में यह दावा किया गया है। 15 जून को प्रकाशित अध्ययन की अभी समीक्षा नहीं की गई है। यह अध्ययन अनंत नारायण भट्ट, अभिषेक कुमार, योगेश राय, दिव्या वेदगिरी और अन्य ने किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि हमने अपने अध्ययन में सार्स-कोव-2 संक्रमण द्वारा प्रेरित मेटाबोलिक रिप्रोग्रामिंग को लक्षित और बाधित करने के लिए 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोजका उपयोग किया। इसमें पाया गया कि यह दवा वायरस वृद्धि को कम करती है, कोशिकाओं को संक्रमण प्रेरित साइटोपैथिक प्रभाव (सीपीई) से दूर रखती है और उन्हें खत्म होने से बचाती है। डीआरडीओ और हैदराबाद स्थित डा. रेड्डी लैबोरटरीज ने यह दवा विकसित की है। इस दवा को कोरोना वायरस के खिलाफ सहायक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है।

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