अमेरिका को तालिबान से समझौते के लिए क्‍यों होना पड़ा मजबूर, जानें- खलीलजाद की जुबानी

अफगानिस्‍तान शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले अमेरिका के पूर्व विशेष प्रतिनिधि जाल्‍मे खलीलजाद ने कहा है कि तालिबान के हाथों हम हार रहे थे इसलिए अमेरिका ने तालिबान से समझौते को अंतिम विकल्‍प के रूप चुना था।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 11:37 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:37 AM (IST)
अमेरिका को तालिबान से समझौते के लिए क्‍यों होना पड़ा मजबूर, जानें- खलीलजाद की जुबानी
तालिबान से अमेरिका के समझौते को लेकर खलीलजाद ने दिया बड़ा बयान

वाशिंगटन (एएनआई)। अफगानिस्‍तान शांति वार्ता के लिए अमेरिका के पूर्व विशेष प्रतिनिधि जाल्‍मे खलीलजाद ने कहा है कि अमेरिका तालिाबान के हाथों हार रहा था। इसकी भरपाई के लिए उसने तालिबान से समझौते को एक अंतिम विकल्‍प के रूप में चुना था। उन्‍होंने ये बात सीबीएस न्‍यूज के साथ हुई बातचीत के दौरान कही है। इस दौरान उन्‍होंने कहा कि अमेरिकी सेना ने कई बार युद्ध के मैदान में खुद को मजबूत स्थिति में लाने की कोशिश की, लेकिन हर बार वो नाकाम ही रही।

टोलो न्‍यूज के मुताबिक खलीलजाद सिर्फ यहीं पर नहीं रुके, उन्‍होंने कहा कि तालिबान के साथ हुआ समझौता केवल इस बात पर आ‍धारित था कि अमेरिका वहां पर उनसे नहीं जीत सकता था। वक्‍त भी वहां पर हमारा साथ नहीं दे रहा था इससे बेहतर था कि अब या बाद में तालिबान के साथ समझौता कर लिया जाए। इस बातचीत में उन्‍होंने अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति अशरफ गनी पर भी जमकर अपनी भड़ास निकाली है। उन्‍होंने कहा कि वो रक्षा क्षेत्र को इतने समय में भी एक साथ नहीं ला सके। उन्‍होंने ये भी कहा कि उनके काबुल से मुंह मोड़कर भागने से हालात अधिक खराब हुए।

अफगानिस्‍तान से अपनी सेना की वापसी को लेकर अमेरिका केवल कलेंडर पर मौजूद दिनों के अनुसार चल रहा था, जबकि वो जमीनी हकीकत से पूरी तरह से बेपरवाह था। उसको जमीनी हकीकत का अंदाजा ही नहीं था। वहां की चुनौतियों और पूर्व में मिली नाकामियों को नजरअंदाज करते हुए अमेरिका अपने यहां पर केवल अफगानिस्‍तान से होने वाले आतंकी खतरों को रोकने तक ही सीमित था। पूर्व राजदूत ने माना कि अफगानिस्‍तान में दो दशक की अमेरिकी सेना की मौजूदगी के बावजूद वहां पर वो लोकतंत्र लाने में असफल साबित हुए।

अफगानिस्‍तान में लोकतंत्र के गठन से संबंधित एक सवाल के जवाब में खलीलजाद ने कहा कि वो मानते हैं कि अमेरिका ने वहां के लिए जो कोशिश की थी उसमें वो पूरी तरह से नाकाम साबित हुआ है। अफगानिस्‍तान में तालिबान एक सच्‍चाई है। हम उसको हरा नहीं सकते हैं। उनका ये भी कहना था कि तालिबान की अफगानिस्तान के लिए सोच काफी अलग है। उन्‍होंने इस बात की भी उम्‍मीद जताई है कि तालिबान भविष्‍य में अपी सोच में बदलाव लाएगा।

गौरतलब है कि 18 अक्‍टूबर को अमेरिका ने खलीलजाद को विशेष प्रतिनिधि के पद से हटा दिया गया था। इसकी जानकारी अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दी थी। उन्‍होंने कहा कि उन्‍होंने इस पद से इस्‍तीफा देने के का मन तब बनाया जब अमेरिका अफगानिस्‍तान से अपनी सेना की वापसी के बाद काबुल के लिए नई नीति बनाने की शुरुआत कर रहा था।

chat bot
आपका साथी