अमेरिका चाहता है- पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखे

अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखे। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद हिंसा में बढ़ने के बीच ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर अफगान शरणार्थियों की संख्या बढ़ गई है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 12:50 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 12:50 PM (IST)
अमेरिका चाहता है- पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखे
अमेरिका चाहता है- पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखे

वाशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखे। बता दें कि अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद हिंसा में बढ़ने के बीच ही पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर अफगान शरणार्थियों की संख्या बढ़ गई है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इस स्थिति को देखते हुए अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान इसे समझे और अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमाओं को अफगान शरणार्थियों के लिए खुला छोड़ दे। 

सरकार या यूएनएचसीआर के साथ पंजीकरण करने का अच्छा अवसर

डॉन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नए अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम में विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों को ब्रीफिंग करते हुए कहा कि पाकिस्तान जैसी जगह के लिए महत्पपूर्ण है कि वह अपनी सीमाएं खुली रखे। अधिकारी ने कहा, 'जाहिर है, अगर लोग उत्तर की ओर जाते हैं या अगर वे ईरान से तुर्की जाते हैं तो देश में प्रवेश करने के साथ-साथ सरकार या यूएनएचसीआर के साथ पंजीकरण करने अच्छा मौका है।

अमेरिकी दौरे पर रहे पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ ने एक ब्रीफ में कहा कि हालांकि, पाकिस्तान ऐसा करने से कतरा रहा है। 1979 से पाकिस्तान ने लाखों अफगानों की मेजबानी की है। इसके अलावा वहां पर 30 लाख से अधिक स्थायी रूप वहां बसे हुए हैं। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों का तर्क है कि उनकी अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत नहीं है कि अधिक शरणार्थियों को रख सके। अमेरिका के दौरे पर आए पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद युसूफ ने यह जानकारी दी।

इस्लामाबाद और वाशिंगटन के संबंध बेहद नाजुक दौर में, हुई कई बैठकें

बता दें कि लाख प्रयासों के बावजूद इस्लामाबाद और वाशिंगटन के संबंध बेहद नाजुक दौर में हैं। पाकिस्तान और अमेरिका के बीच अफगानिस्तान और चीन को लेकर तनावपूर्ण संबंधों के कारण बैठकों का कोई सकारात्मक रास्ता नहीं निकला है।

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