चीन के लोगों को अमेरिका में मल्टीएंट्री वीजा मिलना होगा मुश्किल, सीनेट में विधेयक पेश

प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटरों ने चीन के नागरिकों को दिए जाने वाले 10 साल के मल्टी-एंट्री वीजा को खत्म करने संबंधी एक विधेयक सीनेट में पेश किया है। ये तब तक प्रभावी रहेगा जब तक यह प्रमाणित नहीं होता कि चीन ने आर्थिक और औद्योगिक जासूसी के अभियान बंद कर दिए।

By TaniskEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 02:29 PM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 02:29 PM (IST)
चीन के लोगों को अमेरिका में मल्टीएंट्री वीजा मिलना होगा मुश्किल, सीनेट में विधेयक पेश
चीन और अमेरिका के बीच तकराव जारी । (फाइल फोटो)

वाशिंगटन, प्रेट्र। प्रभावशाली रिपब्लिकन सीनेटरों ने चीन के नागरिकों को दिए जाने वाले 10 साल के मल्टी-एंट्री वीजा को खत्म करने संबंधी एक विधेयक सीनेट में पेश किया है। इसमें कहा गया है कि जब तक यह प्रमाणित नहीं हो जाए कि चीन ने अमेरिका के खिलाफ आर्थिक और औद्योगिक जासूसी को बंद कर दिया है, तब तक इस पर रोक लगा देनी चाहिए।

'वीजा सिक्योरिटी एक्ट नाम के इस बिल को मार्शा ब्लैकबर्न, टॉम कॉटन, रिक स्कॉट, टेड क्रूज और मार्को रुबियो द्वारा पेश किया गया। अगर यह बिल कानून में तब्दील हो जाता है तो चीनी नागरिकों को 10 वर्ष के लिए दिए जाने वाले बी-1/ बी-2 वीजा पर रोक लग जाएगी। ये कानून तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक कि गृह विभाग यह प्रमाणित नहीं करता है कि चीन ने अमेरिका के खिलाफ आर्थिक और औद्योगिक जासूसी के अपने अभियान को बंद कर दिया है।

साथ ही ताइवान के खिलाफ आक्रामक व्यवहार पर रोक लगाई है। बता दें कि बी-1/ बी-2 वीजा उन लोगों को जारी किया जाता है, जो अमेरिका में व्यापार या घूमने के मकसद से आते हैं। इस नए कानून के जरिये चीनी नागरिक केवल एक साल तक मल्टी-एंट्री वीजा का लाभ उठा पाएंगे। अगर यह कानून पास हो जाता है तो वर्ष 2014 से पहले की वीजा स्थिति लागू हो जाएगी। हालांकि इस प्रस्तावित कानून के नियम ताइवान या हांगकांग के कुछ निवासियों पर लागू नहीं होंगे।

चीन और अमेरिका के बीच संबंध खराब

बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच संबंध पिछले कुछ समय से काफी खराब चल रहे हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, मानव अधिकारों और विवादित दक्षिण चीन सागर सहित विभिन्न मुद्दों पर तकरार जारी है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वहीं वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान भी इसके हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। 

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