अमेरिकी सीनेट में छाया रहा कोरोना का मुद्दा, कोविड-19 राहत बिल पर खुब हुई सियासत
आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने कहा कि स्कूल को फिर से खोलने और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेशों के बाद कोविड-19 राहत बिल की कोई आवश्यकता नहीं है।
वाशिंगटन, एजेंसी। कोरोना महामारी के बीच अमेरिकी सीनेट सितंबर तक के लिए स्थगित हो गई। खास बात यह है कि सीनेट के इस सत्र में विपक्ष द्वारा पेश कोविड-19 राहत विधेयक पास नहीं हो सका। कोविड-19 राहत विधेयक को लेकर यह सत्र काफी हंगामेदार रहा। सीनेट के इस सत्र में इस विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खुब नोकझोंक हुई। अमेरिकी सीनेट का नया सत्र अब 8 सितंबर से शुरू होगा। इससे पहले गुरुवार को व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुडलो ने कहा कि स्कूल को फिर से खोलने और श्रमिकों की सुरक्षा के लिए ट्रंप द्वारा हस्ताक्षरित आदेशों के बाद कोविड-19 राहत बिल की कोई जरूरत नहीं है।
कांग्रेस के असहयोग के बावजूद चार कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर
उधर, शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के असहयोग के बावजूद कोविड-19 राहत पैकेज के चार कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। ट्रंप के इस आदेश के तहत अमेरिका में पेरोल पर काम कर रहे अमेरिकियों के लिए बड़ी राहत प्रदान की गई है। इसके तहत प्रति वर्ष 100,000 अमेरिकी डॉलर से कम कमाने वाले अमेरिकियों को पेरोल कर छुट्टी प्रदान की गई। इसके अलावा बेरोजगारों को भी लाभ प्राप्त हुआ है। ऋण चुकाने के माले में भी लोगों को राहत प्रदान किया गया है।
डेमोक्रेट्स की इस मांग को ट्रंप ने किया खारिज
इस बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि डेमोक्रेटस पोस्टल सर्विस के लिए धन की मांग राहज पैकेज के जरिए कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमने डेमोक्रेट्स के पोस्टल सर्विस के लिए अतिरिक्त धन की मांग को खारिज कर दिया। राष्ट्रपति ट्रंप ने तर्क दिया कि विपक्ष की अतिरिक्त धन की मांग मेल-इन-वोट सिस्सटम के लिए अतिरिक्त धन मुहैया कराने के लिए था। उन्होंनें कहा कि यदि हम यह डील नहीं करते तो इसका मतलब था कि वह (डेमोक्रेट्स) धन प्राप्त करने में सफल हो जाते। राष्ट्रपति ने कहा कि अगर ऐसा होता तो डेमोक्रेट्स अमेरिका में मेल-इन-वोट को लागू कराने में सफल हो जाते।