भारत के प्रति आक्रामक रहा है चीन, बनाएंगे जवाबदेह, अमेरिकी राजनयिक ने ड्रैगन को दिया स्पष्ट संदेश

चीन में अमेरिकी राजदूत के रूप में अपने नाम की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट की विदेश संबंधों से जुड़ी समिति के सदस्यों से ब‌र्न्स ने बुधवार को कहा कि चीन को जहां चुनौती देने की जरूरत पड़ेगी अमेरिका उसे वहां चुनौती देगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 05:07 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:07 PM (IST)
भारत के प्रति आक्रामक रहा है चीन, बनाएंगे जवाबदेह, अमेरिकी राजनयिक ने ड्रैगन को दिया स्पष्ट संदेश
चीन में अगले राजदूत ब‌र्न्स ने कहा, अमेरिकी सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा हुआ तो दिया जाएगा जवाब

वाशिंगटन, प्रेट्र। राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से चीन में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित निकोलस ब‌र्न्स ने भारत के चालबाज पड़ोसी को स्पष्ट संदेश दे दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि चीन हिमालयी सीमा पर भारत के प्रति आक्रामक रहा है और अगर वह नियमों का पालन नहीं करता है, तो अमेरिका को उसे जवाबदेह बनाना होगा।

चीन में अमेरिकी राजदूत के रूप में अपने नाम की पुष्टि संबंधी सुनवाई के दौरान सीनेट की विदेश संबंधों से जुड़ी समिति के सदस्यों से ब‌र्न्स ने बुधवार को कहा कि चीन को जहां चुनौती देने की जरूरत पड़ेगी, अमेरिका उसे वहां चुनौती देगा। चीन जब भी अमेरिकी मूल्यों व हितों के खिलाफ कदम उठाएगा, अमेरिका या उसके सहयोगियों की सुरक्षा को खतरा पैदा करेगा या नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करेगा, अमेरिका उसके खिलाफ कदम उठाएगा।

ब‌र्न्स ने कहा, 'चीन हिमालयी सीमा पर भारत के खिलाफ, दक्षिण चीन सागर में वियतनाम, फिलीपींस व अन्य के खिलाफ, पूर्वी चीन सागर में जापान के खिलाफ आक्रामक रहा है। उसने आस्ट्रेलिया व लिथुआनिया को धमकाने की मुहिम चलाई है। शिनजियांग प्रांत में नरसंहार, तिब्बत में उत्पीड़न, हांगकांग की स्वायत्तता व स्वतंत्रता का गला घोंटने और ताइवान को धमकाने जैसी चीनी हरकतें अन्यायपूर्ण हैं। इसे रोकना चाहिए।'

उन्होंने कहा कि ताइवान के खिलाफ बीजिंग की विशेष रूप से हालिया कार्रवाई आपत्तिजनक है। ब‌र्न्स ने कहा, 'हमारा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यथास्थिति व स्थिरता को कमजोर करने वाली एकतरफा कार्रवाई का विरोध करना भी उचित है।' उन्होंने कहा कि अमेरिका नौकरियों व अर्थव्यवस्था, अहम बुनियादी ढांचे व उभरती प्रौद्योगिकियों समेत उन क्षेत्रों में चीन से कड़ी प्रतिस्पर्धा करेगा, जहां ऐसा करने की जरूरत है। अमेरिका अपने हित में जलवायु परिवर्तन, मादक पदाथरें के खिलाफ कार्रवाई, वैश्विक स्वास्थ्य व निरस्त्रीकरण जैसे मामलों में चीन के साथ सहयोग भी करेगा। उन्होंने कहा कि चीन हिंद प्रशांत में सबसे बड़ी सैन्य व राजनीतिक शक्ति तथा अर्थव्यवस्था बनना चाहता है। हमें 21वीं शताब्दी में अपनी वाणिज्यिक, सैन्य व प्रौद्योगिकी श्रेष्ठता को बनाए रखते हुए सहयोगियों की मदद करनी चाहिए।

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