चीन में मौजूद हैं बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी, जलवायु परिवर्तन मामले पर चाहते हैं सहयोग
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी गुरुवार को जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए चीन में हैं। उनके इस दौरे का मकसद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए बीजिंग का सहयोग प्राप्त करना है।
बीजिंग, एएफपी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी गुरुवार को जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए चीन में हैं। उनके इस दौरे का मकसद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए बीजिंग का सहयोग प्राप्त करना है। इससे पहले उन्होंने भारत का भी दौरा किया। उस वक्त भी उन्होंने चीन के सहयोग को लेकर उम्मीद तो जताई थी, लेकिन वह इसके प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं थे। बता दें कि बाइडन प्रशासन के अधिकारी का पहला चीन दौरा है। जो बाइडन ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद पेरिस जलवायु समझौते में अमेरिका के लौटने की घोषणा की थी।
अमेरिका के वाणिज्यिक दूतावास ने बताया कि केरी चीन पहुंच गए और शंघाई होटल में अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात करेंगे। दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले चीन ने ऐलान किया है कि 2060 तक यह कार्बन न्यूट्रल हो जाएगा। चीन का यह दौरा राष्ट्रपति जो बाइडन की विश्व नेताओं के संग जलवायु सम्मेलन से पहले हो रही है।
विदेश विभाग ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि केरी बुधवार से शनिवार के बीच शंघाई और सियोल (दक्षिण कोरिया) जाएंगे। यह यात्रा बाइडन प्रशासन में अबतक की सबसे उच्च स्तरीय चीन यात्रा है। 22-23 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने वर्चुअली आयोजित होने वाले जलवायु सम्मेलन के लिए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग समेत 40 विश्व नेताओं को आमंत्रित किया है। पाकिस्तान को इस सम्मेलन में नहीं बुलाया गया है जिसपर वहां के विदेश मंत्रालय ने सफाई में कहा है कि बाइडन ने इस सम्मेलन में उन्हें बुलाया है जो विश्व के कुल कार्बन उत्सर्जन का 80 फीसद उत्सर्जित करते हैं। इसलिए पाकिस्तान इसमें शामिल नहीं है
हाल में ही अलास्का में चीन और अमेरिका के अधिकारियों की मुलाकात हुई थी। इस दौरान दोनों देश आपस में हांग कांग में चीन की नीतियों और उत्तर पश्चिम के शिनजियांग क्षेेत्र में उइगर समुदायों पर अत्याचार को लेकर भिड़ गए थे। शंघाइ में अधिकारियों को पर्यावरण की चुनौतियों के साथ आगामी संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में ग्लासगो में होने वाले जलवायु परिवर्तन पर वार्ता को लेकर चर्चा की उम्मीद है।