बाइडन प्रशासन में चीन पर नए दबाव, जारी रहेगा अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर

अमेरिका में सत्ता बदल गई लेकिन चीन के प्रति रवैया शायद ही बदलेगा। नए राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन में चीन पर व्यापारिक प्रेशर जारी रहेंगे। हालांकि बाइडन अभी चीन पर नहीं कोरोना वायरस और इकोनॉमी पर ध्यान देंगे।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 02:25 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 02:25 PM (IST)
बाइडन प्रशासन में चीन पर नए दबाव, जारी रहेगा अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर
चीन के प्रति नहीं बदलेगा अमेरिका का रवैया

बीजिंग, एपी। अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर  (US-Chinese trade war) बाइडन प्रशासन के तहत भी जारी रहेगा। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अभी चीन के मुद्दे पर किसी तरह का विचार नहीं करेंगे क्योंकि वे अभी कोरोना वायरस और अर्थव्यवस्था पर फोकस करना चाहते हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जेन साकी ने कहा है कि अमेरिका का मकसद उसके साथियों के साथ आगे बढ़कर काम करने का है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका-चीन के बीच तनातनी काफी हदतक बढ़ गई थी।

ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स (Oxford Economics) के लुइस कुइज्स (Louis Kuijs) ने कहा, 'मेरे विचार से संरचनात्मक सुधारों का निष्कर्ष निकालने पर बाइडन का फोकस रहेगा। हमें  किसी तरह की अहम घोषणाओं के लिए इंतजार करना होगा।' बाइडन चीनी सामानों पर टैरिफ का आकलन कर रहे हैं और आगामी योजनाओं के लिए सहयोगियों का साथ लेंगे। यह बात व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी  ( White House spokeswoman Jen Psaki)ने कही।  किसी तरह के संभावित बदलाव को लेकर उन्होंने कोई इशारा नहीं किया। हां उन्होंने यह जरूर कहा, 'चीन के आर्थिक शोषण को रोकने के लिए राष्ट्रपति बाइडन प्रतिबद्ध हैं।' 

यूरोप व अन्य व्यापारियों द्वारा शेयर किए गए शिकायतों पर ट्रंप ने कार्रवाई की। वाशिंगटन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग  (President Xi Jinping) की सरकार को सौदेबाजी तक पहुंचा दिया लेकिन इससे वैश्विक व्यापार प्रभावित हुआ। कंज्यूमर कीमतें बढ़ गई और रोजगार की कमी हो गई। एक साल पहले इस क्रम में बड़ा बदलाव हुआ जब बीजिंग ने 2020 के जनवरी में फेज वन समझौते के तहत अधिक सोयाबीन व अन्य अमेरिकी सामानों को खरीदने का वादाा किया और टेक्नोलॉजी के हैंड ओवर को लेकर कंपनियों पर दबाव बनाना बंद किया। लेकिन अपने वादे को पूरा करने में चीन पिछड़ गया और मात्र 55 फीसद ही खरीददारी की। बता दें कि अमेरिका से सोयाबीन का कुल निर्यात का 76 फीसद तक चीन को जाता रहा है।

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