संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए जारी किया आपातकालीन फंड

संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए आपातकालीन कोष जारी किया है। बताया जा रहा है कि संगठन ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाने में मदद के लिए आपातकालीन कोष में 4.5 करोड़ डालर जारी करने की घोषणा की है।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 12:01 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 12:01 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए जारी किया आपातकालीन फंड
संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए जारी किया आपातकालीन कोष

संयुक्त राष्ट्र, आइएएनएस। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद सभी क्षेत्रों में असर देखने को मिला है। संयुक्त राष्ट्र भी इससे पहले कई बार यहां की महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठा चुका है। अब ताजा खबर यह है कि संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए आपातकालीन फंड जारी किया है। बताया जा रहा है कि संगठन ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाने में मदद के लिए आपातकालीन कोष में 4.5 करोड़ डालर जारी करने की घोषणा की है।

रिपोर्ट के मुताबिक, फंडिंग विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ को जाएगी। इसके साथ ही कोविड मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों सहित अन्य स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं को वर्ष के अंत तक संचालित किया जाएगा। अफगानिस्तान के साथ संयुक्त राष्ट्र मजूबती से खड़ा है। 

वहीं तालिबान अपने दोहा के प्रवक्ता सुहेल शाहीन के नाम की घोषणा अफगानिस्तान का संयुक्त राष्ट्र राजदूत के तौर पर कर चुका है। दरअसल, इस सप्ताह शाहीन को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र के मंच पर बोलना है। इसके लिए तालिबान ने UN से पत्र लिखकर अनुरोध किया है। तालिबान ने कहा था कि वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान और युद्ध ग्रस्त देश के पुर्ननिर्माण के लिए मदद चाहते हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के लिए यह दुविधा जैसी बात है। तालिबान के विदेश मंत्री आमीर खान मुत्तकी ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस को लिखे गए पत्र में आग्रह किया था कि संयुक्त राष्ट्र के मंच पर तालिबान को भी बोलने का मौका मिले।

उधर, मुहम्मद उस्मान बाबरी हुए बर्खास्त, विरोध में 70 कर्मचारियों का इस्तीफा

वहीं अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद लगातार नई-नई खबरें सामने आ रही हैं। अब खबर है कि तालिबान द्वारा पीएचडी किए कुलपति मुहम्मद उस्मान बाबरी को बर्खास्त किया गया है और उनकी जगह बीए डिग्री धारक मुहम्मद अशरफ घैरट को नियुक्त करने के बाद सहायक प्रोफेसरों सहित काबुल विश्वविद्यालय के लगभग 70 शिक्षण कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद वीसी के रूप में नई नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया पर विरोध हो रहा है। आलोचकों ने पिछले साल घैरट के एक ट्वीट को हाइलाइट किया है, जिसमें उन्होंने पत्रकारों की हत्या को सही ठहराया था।

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