ट्रंप बोले व्हाइट हाउस ने नहीं दी कोई खुफिया जानकारी, फैलाई जा रही कोरी अफवाह
अफगानिस्तान में सैनिकों को मारने के लिए तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को रशियन मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट की ओर से दी गई जानकारी के बारे में राष्ट्रपति ट्रंप ने इनकार कर दिया।
नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अफगानिस्तान में यूएस और गठबंधन के सैनिकों को मारने के लिए तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को रशियन मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट की ओर से दी गई जानकारी के बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इनकार कर दिया है।
उनका कहना है कि उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। यदि कोई जानकारी देने की बात कह रहा है तो वो झूठ बोल रहा है, ये सिर्फ अफवाह फैलाने का काम है। जब ये जानकारी सार्वजनिक हो गई तो व्हाइट हाउस ने मीडिया पर हमला किया, अब इस बारे में एक इंटेलीजेंस अधिकारी को दोष दिया जा रहा है।
इस सप्ताह अब तक इस मामले में कई जानकारियां सामने आ चुकी हैं। कुछ दिन पहले व्हाइट हाउस की ओर से इस बारे में कहा गया था कि हर खुफिया जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नहीं दी जाती है। मंगलवार को व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने खुलासा किया कि रशियन मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट की ओर से अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए पैसे दिए गए थे, इसके बारे में राष्ट्रपति को लिखित में सूचना दे दी गई थी, राष्ट्रपति को पढ़ने के लिए जो नोट तैयार किए जाते हैं उसी नोट्स में ये जानकारी उनकी टेबल पर लिखित में पहुंचाई गई थी।
बुधवार को ट्रंप ने अपने दावे को दोहराया कि उनको अफगानिस्तान में सैनिकों को मारे जाने के बारे में कभी कोई भी संक्षिप्त जानकारी दी गई हो। जिसे उनके सहयोगियों ने सही ठहराया हो। अधिकारियों का कहना है कि फरवरी के अंत में राष्ट्रपति की दैनिक लिखित खुफिया ब्रीफिंग में उनको इसकी जानकारी दी गई थी। एक बात और है कि इस जानकारी के बाद ही राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर पर बाउंटीज़ के बारे में कहानियाँ लिखी थीं।
ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राबर्ट सीओ ब्रायन ने कहा कि यह सब रिपब्लिकन पार्टी को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। ये एक बनावटी और फेक न्यूज है। उनका कहना है कि जो भी अधिकारी राष्ट्रपति को इन चीजों के बारे में जानकारियां देता है उसकी ओर से ही कहीं न कहीं गलती की गई है। उनका कहना है कि हो सकता है कि जिस सीआईए के अधिकारी को ये चीजें राष्ट्रपति को बतानी थी उसकी ओर से कहीं न कहीं गलती की गई हो, ये किसी तरह से मिसकम्युनिकेशन हो गया हो।
उधर व्हाइट हाउस के अधिकारी लगातार ये कह रहे हैं कि ट्रंप को पढ़ने के लिए जो नोट्स तैयार किए जाते हैं उसमें फरवरी माह में इस मुद्दे को भी शामिल किया गया था, उनको नोट तैयार करके दिया गया था जिसमें ये लिखा गया था कि खुफिया अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है कि रूस अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए आतंकियों को इनाम देने की बात कह रहा है।
अब पता चला है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष अभियान दलों ने इस रूसी साजिश के बारे में जनवरी 2020 के शुरू में ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क कर दिया था। उसके बाद फरवरी में उनकी ओर से एक नोट तैयार किया गया फिर उसे ट्रंप के सामने रखा गया था। खुफिया अधिकारियों को एक खास सूचना मिली थी, उस सूचना पर काम करते हुए अधिकारियों ने तालिबान की चौकी पर एक छापेमारी की, उनको वहां से बड़ी मात्रा में अमेरिकी नकदी मिली जिससे इस बात का संदेह पैदा हुआ कि सैनिकों को मारने के लिए इन आतंकियों को पैसे दिए गए। पकड़े गए आतंकियों से जब खुफिया अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया।
2020 की शुरुआत में चार अमेरिकी युद्ध में मारे गए थे लेकिन अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए फरवरी के बाद हुए समझौते के बाद से तालिबानियों ने अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं किया है। अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस मामले में रूस के खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दोषी भी ठहराया था।
अब बुधवार को इस मामले में एक और जानकारी सामने आई थी। जो अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान में आतंकियों की गोली के शिकार हुए थे उनके परिजनों को अब ये भरोसा हो रहा है कि रशियन मिलिट्री इंटेलीजेंस यूनिट की ओर से सैनिकों को मारने के लिए पैसे का भुगतान किया गया होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। अफगानिस्तान में अप्रैल 2019 में एक कार बम विस्फोट में रॉबर्ट ए. हेंड्रिक्स, क्रिस्चियन स्लटमैन और बेंजामिन हाइन्स मारे गए थे।
उन्होंने कहा कि वो ट्रंप के समर्थक हैं मगर कोई देश यदि इस तरह से सैनिकों को मारने के लिए आतंकियों को पैसे का भुगतान करता है तो राष्ट्रपति को ऐसे देश के खिलाफ काम करना चाहिए। उनका कहना है कि उनको अपने बेटे को खोने का गम नहीं है मगर यदि उसे एक साजिश के तहत मारा गया है तो ये निश्चित रूप से दुख पहुंचाने वाला मामला है।