फेफड़े के रोगों का इलाज होगा आसान, धूमपान और प्रदूषण संबंधी बीमारियों को किया जा सकेगा काबू

शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए एक प्री-क्लिनिकल अध्ययन में माइक्रो आरएनए-21 का स्तर बढ़ा पाया है। इसकी रोकथाम के लिए एंटागोमिर-21 के इस्तेमाल से पाया गया जिससे फेफड़े का सूजन कम हो गया और उसके कामकाज की क्षमता में भी वृद्धि हुई।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 07:28 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 07:28 PM (IST)
फेफड़े के रोगों का इलाज होगा आसान, धूमपान और प्रदूषण संबंधी बीमारियों को किया जा सकेगा काबू
कम होगा रोग का खतरा। प्रतीकात्मक फोटो

सिडनी, (आस्ट्रेलिया) एएनआइ। बढ़ते प्रदूषण और बदलती जीवनशैली के कारण फेफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह एक बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। ऐसे में इन बीमारियों की रोकथाम के लिए सतत शोध भी हो रहे हैं। इसी क्रम में विज्ञानियों ने एक ऐसे सूक्ष्म आरएनए, जिसे माइक्रो आरएनएन-21 नाम दिया गया है- की खोज की है, जिसे निशाना बनाकर या उसे रोककर क्रानिक अब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का नया संभावित आसान इलाज खोजा जा सकता है।

फेफड़े में सूजन से सांस लेना कठिन हो जाता है और सीओपीडी आमतौर पर धूमपान या प्रदूषित हवा में सांस लेने से होता है। इनसे होने वाली बीमारियां दुनियाभर में मौत का तीसरा बड़ा कारण हैं।

शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए एक प्री-क्लिनिकल अध्ययन में माइक्रो आरएनए-21 का स्तर बढ़ा पाया है। इसकी रोकथाम के लिए एंटागोमिर-21 के इस्तेमाल से पाया गया, जिससे फेफड़े का सूजन कम हो गया और उसके कामकाज की क्षमता में भी वृद्धि हुई। इसके आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है यदि माइक्रो आरएनए-21 के स्तर पर काबू पाया जा सके या उसकी रोकथाम हो सके तो फेफड़े से संबंधित बीमारियों का इलाज आसान हो सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटागोमिर-21 - माइक्रो आरएनए-21 की अभिव्यक्ति यानी असर को कम करने के साथ ही वायु मार्ग और फेफड़े में मैक्रोफैगस, न्यूट्रोफिल्स तथा लिंफोसाइट्स जैसे इंफ्लेमेटरी सेल्स की वृद्धि को भी कम करता है। लंग्स साइटोकाइन, जो सूजन संबंधी प्रतिक्रिया को बढ़ा देता है, उसे भी एंटागोमिर-21 से रोका जा सकता है।

निष्कर्ष से सीओपीडी के बारे में नई बातें आई हैं सामने

शोध के वरिष्ठ लेखक व सेंटनेरी यूटीएस सेंटर फार इंफ्लेमेशन के निदेशक प्रोफेसर फिल हंसब्रो ने बताया कि उनके निष्कर्ष से सीओपीडी के बारे में बिल्कुल नई बातें सामने आई हैं। उनके मुताबिक, वैसे तो माइक्रो आरएनए-21 एक सामान्य मालीक्यूल है, जो इंसानी शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में अभिव्यक्त होता है और कई सारी नाजुक जैविक प्रकियाओं को रेगुलेट करता है। लेकिन हमारे शोध का निष्कर्ष यह है कि सीओपीडी मामले में माइक्रो आरएनए-21 का स्तर बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि कोई ऐसी दवा, जो माइक्रो आरएनए-21 को रोक सके, वह सीओपीडी के इलाज की दिशा में पूर्णतया नया दृष्टिकोण होगा। यह सीओपीडी को कंट्रोल करने या उसके प्रसार को रोकने के लिए मौजूदा इलाज से ज्यादा कारगर होगा।

उन्होंने बताया कि सीओपीडी के प्रभावी इलाज की सबसे बड़ी बाधा इस बीमारी को सही तरीके से नहीं समझ पाने की रही है। लेकिन हमारे शोध के आंकड़ों से माइक्रो आरएएन-21 के बारे में जो नई जानकारी मिली है, उसके आधार पर मुकाबला करने या बीमारी की रोकथाम के लिए एक नया संभावित इलाज उपलब्ध हो सकेगा।

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