कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा को तेजी से बढ़ाती है वैक्सीन की तीसरी डोज: फाइजर

फाइजर ने बताया है कि उसकी कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा को तेजी से बढ़ाती है। वैक्सीन की तीसरी डोज लेने के बाद शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर दूसरी डोज की तुलना में बढ़ा है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 08:59 AM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 09:04 AM (IST)
कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा को तेजी से बढ़ाती है वैक्सीन की तीसरी डोज: फाइजर
कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज पर शोध।(फोटो: दैनिक जागरण)

वाशिंगटन, आइएएनएस। अमेरिकी बायोफार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर ने कहा है कि उसकी कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज कोरोना वायरस के डेल्टा संस्करण के खिलाफ सुरक्षा को तेजी से बढ़ा सकती है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के टेलीकांफ्रेंस में पोस्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन की तीसरी खुराक प्राप्त करने वाले 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर दूसरी डोज की तुलना में पांच गुना अधिक रहा है। इसी तरह 65 से 85 वर्ष की आयु के लोगों में फाइजर का डाटा बताता है कि तीसरी डोज प्राप्त करने के बाद डेल्टा संस्करण के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर दूसरी डोज लेने की तुलना में 11 गुना अधिक है। फाइजर ने अगले महीने अपनी वैक्सीन की तीसरी डोज के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन करने की संभावना जताई है।

बूस्टर या तीसरी डोज को लेकर अलग-अलग देशों में क्या हो रहा है?

- फाइजर ने ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन सामने आने के बाद बूस्टर यानी तीसरे डोज की जरूरत की बात कही थी। इसके बाद इजराइल समेत कई देशों ने हाई रिस्क ग्रुप यानी किसी न किसी तरह की गंभीर बीमारी का सामना कर रहे लोगों को बूस्टर डोज लगाना शुरू कर दिया है।

- बूस्टर डोज की जरूरत के पीछे एक तर्क डेल्टा वैरिएंट भी है। इस समय यह वैरिएंट 125 से अधिक देशों में सक्रिय है। भारत में तो 86% नए केस डेल्टा वैरिएंट के हैं। यहां भी ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन सामने आए हैं, जिन पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने स्टडी भी की है।

- अमेरिका ने कहा है कि लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन अभी इस संबंध में और रिसर्च की जा रही है। वैक्सीन की मिक्स एंड मैच स्ट्रैटजी पर भी विचार किया जा रहा है। रिसर्च के रिजल्ट के बाद ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा।

- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि इस बात की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं है कि वैक्सीन का बूस्टर डोज कितना जरूरी है। संगठन ने ये भी कहा है कि विकसित देशों को वैक्सीन का बूस्टर डोज देने की बजाय ऐसे देशों को वैक्सीन देना चाहिए जहां वैक्सीन की कमी है।

- भारत का टारगेट पहले अपनी ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीनेट करने का है। उसके बाद ही रिसर्च के नतीजों के आधार पर वैक्सीन के बूस्टर डोज पर आवश्यकता के अनुसार फैसला लिया जाएगा।

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