मंगल पर पानी नहीं मिलने की ये हैं वजहें, नए अध्ययन में विज्ञानियों की उम्मीदों को बड़ा झटका

सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अध्ययन के आधार पर किया दावा। अभी तक विज्ञानी लाल ग्रह पर पानी की उम्मीद जताते हुए मानव बस्तियों की तलाश रहे थे संभावनाएं। नए अध्ययन के लिए विज्ञानियों ने पोटैशियम के स्थिर आइसोटोप रिमोट सेंसिंग और केमिकल एनालिसिस की मदद ली।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 06:57 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 06:57 PM (IST)
मंगल पर पानी नहीं मिलने की ये हैं वजहें, नए अध्ययन में विज्ञानियों की उम्मीदों को बड़ा झटका
मंगल पर नहीं है पानी, नए अध्ययन में विज्ञानियों की उम्मीदों को बड़ा झटका

वाशिंगटन, एएनआइ। लाल ग्रह यानी मंगल हमेशा से विज्ञानियों के लिए जिज्ञासा का विषय रहा है। अभी तक ये संभावना जताई जाती रही हैं कि यहां जीवन के लिए जरूरी पानी मौजूद हो सकता है, लेकिन एक नए अध्ययन से विज्ञानियों की इस उम्मीद को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सेंट लुइस स्थित वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि मंगल का आकार इतना बड़ा नहीं है कि वह इतनी बड़ी मात्रा में अपने में पानी को रख सके। बता दें कि इससे पहले कुछ अध्ययन इस ओर संकेत कर चुके हैं कि मंगल पर पानी आयन के रूप में उपलब्ध हो सकता है।

इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। पृथ्वी हो या कोई और ग्रह, जीवन के लिए पानी अतिआवश्यक है। विज्ञानियों का कहना है कि संभव है कि इतिहास में मंगल पर पानी कभी रहा हो, लेकिन वायुमंडल के खत्म होने के साथ ही पानी का मिलना भी करीब-करीब नामुमकिन है।

इस तरह किया अध्ययन

नए अध्ययन के लिए विज्ञानियों ने पोटैशियम के स्थिर आइसोटोप, रिमोट सेंसिंग और केमिकल एनालिसिस की मदद ली। इसमें पानी के मंगल से गायब होने की गति को देखा गया। इसमें पता चला कि अब लाल ग्रह पर पानी नहीं है।

पानी न होने की ये हैं वजहें

शोधकर्ताओं के दल ने मंगल के उल्कापिंडों का अध्ययन किया और पाया कि मंगल से पानी और पोटैशियन गायब हो गए हैं और यह धरती की तुलना में ज्यादा तेजी से हुआ है। अध्ययन के प्रमुख लेखक और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंसेज इन आ‌र्ट्स एंड साइंसेज के सहायक प्रोफेसर कुन वांग के मुताबिक, मंगल के उल्कापिंड करोड़ों साल पहले के हैं। ये मंगल के विकास के इतिहास की कहानी सुनाते हैं। हमारे अध्ययन में सामने आया है कि मंगल का आकार और द्रव्यमान ऐसा नहीं है कि यहां जीवन के लायक पानी बचा हो। शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसी कई चीजें हैं जो मंगल पर बदलाव की वजह बन सकती हैं। इनमें से एक मंगल का कमजोर चुंबकीय क्षेत्र भी है, जिसकी वजह से इसके घने वातावरण को नुकसान पहुंचा हो।

मिली हैं नदी घाटियों की तस्वीरें

बता दें कि नासा के वाइकिंग आíबटर अंतरिक्ष यान और हाल के क्यूरोसिटी और पर्सविरंस रोवर्स की मदद से मंगल की जमीन की जो तस्वीरें मिली हैं उनमें नदी घाटियों और बाढ़ के चिह्न दिखाई देते हैं। फरवरी में मंगल पर पहुंचे अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सविरंस रोवर ने हाल ही में मंगल ग्रह पर चट्टान के नमूने इकट्ठा किए, जिनमें जीवन की मौजूदगी से जुड़े अहम सवालों के जवाब छिपे हो सकते हैं। रोवर ने जेजीरो क्रेटर में जिस चट्टान के नमूने लिए हैं, वे ज्वालामुखी का लावा जमने के कारण बना है।

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