पाक की परमाणु एजेंसी को संवेदनशील कंप्यूटर उपकरण मुहैया कराने वाले ने जुर्म स्वीकारा
ओबेदुल्लाह सैयद ने पूछताछ में स्वीकार किया कि 2006 से 2015 के दौरान उसने पाकिस्तान में अपनी कंपनी के माध्यम से गैरकानूनी रूप से अमेरिका से कंप्यूटर उपकरण निर्यात किए और पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग को मुहैया कराए।
वाशिंगटन, प्रेट्र। पाकिस्तान की परमाणु अनुसंधान एजेंसी को संवेदनशील कंप्यूटर उपकरण अवैध रूप से निर्यात करने वाले पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है। अमेरिकी न्याय विभाग ने बताया, 66 वर्षीय ओबेदुल्लाह सैयद को सजा 23 फरवरी को सुनाई जा सकती है। सैयद को अधिकतम पांच वर्ष की सजा हो सकती है। इसके अलावा 1.85 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सैयद हाई परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग प्लेटफार्म, सर्वर और साफ्टवेयर बेचने वाली दो कंपनियां पाकिस्तान स्थित बिजनेस सिस्टम इंटरनेशनल और शिकागो स्थित बीएसआइ यूएसए का मालिक है।
सैयद ने पूछताछ में स्वीकार किया कि 2006 से 2015 के दौरान उसने पाकिस्तान में अपनी कंपनी के माध्यम से गैरकानूनी रूप से अमेरिका से कंप्यूटर उपकरण निर्यात किए और पाकिस्तान परमाणु ऊर्जा आयोग को मुहैया कराए। इन उपकरणों को निर्यात करने से पहले अमेरिका के आधिकारिक प्राधिकरण से अनुमति नहीं ली गई। सैयद को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोपी पाया गया है।
इसके अलावा पाकिस्तान के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डा अब्दुल कादिर खान का इस महीने निधन हो गया है। वह 85 वर्ष के थे। उन्हें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम का जनक माना जाता था। अब्दुल कादिर खान का भारत से भी रिश्ता था। उनका जन्म एक अप्रैल, 1936 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। बंटवारे के दौरान वो अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे। कादिर खान पाकिस्तान के पहले ऐसे नागरिक थे, जिन्हें तीन प्रेसिडिंशियल अवार्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा दो बार निशान-ए-इम्तियाज और एक बार हिलाल-ए-इम्तियाज से सम्मानित किए गए थे।
उन पर वैश्विक परमाणु प्रसार में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। खान ने 2004 में उत्तर कोरिया, लीबिया को परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री की आपूर्ति में मदद करने की बात कबूल की थी। पिछले महीने अब्दुल कादिर खान ने कहा था कि वह लंबे समय से बीमार हैं, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान या फिर उनकी कैबिनेट के किसी सदस्य ने उनका हालचाल नहीं लिया था। वे काफी दिनों तक अस्पताल में भर्ती थे।