Summit for Democracy : बाइडन बोले- बाहरी दबाव के सहारे अपनी ताकत बढ़ाना चाहती हैं निरंकुश हस्तियां
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार को विश्व लोकतंत्र शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक विभाजन और राजनीतिक ध्रुवीकरण की लपटों को भड़काने से लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें होती हैं। पढ़ें अमेरिकी राष्ट्रपति का पूरा बयान...
वाशिंगटन, एजेंसियां। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बृहस्पतिवार को लोकतंत्र शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए वैश्विक ह्रास को लेकर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त साथी नेताओं के लिए लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिशों को दोगुना करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आज सामाजिक विभाजन और राजनीतिक ध्रुवीकरण की लपटों को भड़काने से लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें होती हैं।
बाइडन ने दुनियाभर के नेताओं का आह्वान किया कि वे आपस में सहयोग करें और यह दिखाएं कि लोकतंत्र क्या दे सकता है। लोकतांत्रिक सरकारों के विरोध में लोगों के असंतोष को बढ़ाया जाना चिंता का विषय है। मेरे विचार से यह हमारे समय की निर्णायक चुनौती है। लोगों के बाहरी दबाव के सहारे निरंकुश हस्तियां अपनी ताकत बढ़ाना चाहती हैं। इनका मकसद दुनिया भर में अपने प्रभाव का विस्तार करना है।
बाइडन ने यह भी कहा कि ये लोग मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी दमनकारी नीतियों को बेहद कारगर औजार के रूप में जायज ठहराते हैं। उन्होंने अमेरिका में लोकतांत्रिक संस्थाओं और परंपराओं के लिए अपनी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि मेरी कोशिशों को तब सफलता मिली जब देश में मतदान अधिकार विधेयक पारित हुआ। हम जो आंकड़े देख रहे हैं वह गलत दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि 2020 में फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट जिसने ग्लोबल फ्रीडम एंड रिट्रीट के लगातार 15वें वर्ष लोकतंत्रों में गिरावट को चिह्नित किया। यही नहीं इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी लोकतंत्रों में से आधे ने बीते 10 वर्षों में लोकतंत्र के कम से कम एक पहलू में गिरावट का अनुभव किया जिसमें अमेरिका भी शामिल है।
इसके साथ ही बाइडन ने प्रतिभागियों से दुनिया भर में बढ़ती निरंकुशता के दौर में लोकतंत्र को मजबूत करने का आह्वान किया। दो दिन तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन में 110 देशों के नेता और नागरिक समूहों के विशषज्ञ भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में भ्रष्टाचार को रोकने और मानवाधिकारों को सम्मान देने जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर एक साथ मिल कर काम करने पर मंथन होगा। इस आयोजन को लेकर चीन और रूस नाराज हैं। उन्होंने बाइडन प्रशासन को शीत-युद्ध की मानसिकता दर्शाने वाला करार दिया है।
चीन और रूस ने इस आयोजन को दुनिया में वैचारिक मतभेद और दरार बढ़ाने वाला बताया है। वहीं बाइडन प्रशासन का कहना है कि ऐसे दौर में जब दुनियाभर में आजादी को कुचलने का चलन सा बन गया है वर्चुअल माध्यम से आयोजित यह सम्मेलन बेहद महत्वपूर्ण है। सम्मेलन में बाइडन ने प्रतिभागियों से लोकतंत्र को बरकरार रखने के लिए काम करने की अपील भी की। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब चीन की आक्रामकता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।