जन्म के समय आपके बच्चे का वजन ढाई किलोग्राम से ज्यादा है तो बड़े होने पर हो सकते है ये रोग
ब्रिटिश बॉयोबैंक के अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजों से जाहिर होता है कि टाइप-2 डायबिटीज बीमारी जीवन के प्रारंभिक दौर से लेकर वयस्क अवस्था से जुड़े कारकों से जुड़ी होती है। ब्रिटिश बॉयोबैंक जनसंख्या आधारित सबसे बड़ा अध्ययन है।
वाशिंगटन, एएनआई। शोधकर्ताओं ने टाइप-2 डायबिटीज के खतरे को लेकर एक नया अध्ययन किया है। इसका दावा है कि इस रोग के जोखिम का जुड़ाव जन्म के समय के वजन से हो सकता है। वयस्क अवस्था में टाइप-2 डायबिटीज के बढ़ते खतरे का गहरा ताल्लुक जन्म के समय ढाई किलोग्राम या इससे ज्यादा वजन से पाया गया है
अध्ययन के नतीजों को ऑनलाइन पत्रिका बीएमजे ओपेन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसके अनुसार, जन्म के समय के वजन का संबंध इंसुलिन-लाइक ग्रोथ फैक्टर-1 (आइजीएफ-1) के निम्न स्तर से पाया गया है। आइजीएफ-1 इंसुलिन के समान एक हार्मोन होता है, जो बाल अवस्था के विकास और वयस्कों में एनर्जी मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है।
टाइप-2 डायबिटीज बीमारी प्रारंभिक अवस्था से ही
ब्रिटिश बॉयोबैंक के अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं के मुताबिक, नतीजों से जाहिर होता है कि टाइप-2 डायबिटीज बीमारी जीवन के प्रारंभिक दौर से लेकर वयस्क अवस्था से जुड़े कारकों से जुड़ी होती है। ब्रिटिश बॉयोबैंक जनसंख्या आधारित सबसे बड़ा अध्ययन है। इसमें वर्ष 2006 से लेकर 2010 के दौरान 37 साल से लेकर 73 साल के 17 हजार 699 लोगों को शामिल किया गया था।
10 साल तक किए गए अध्ययन के बाद निष्कर्ष
अधेड़ उम्र और बुढ़ापे में होने वाली आम बीमारियों पर आनुवांशिक और जीवनशैली संबंधी कारकों के पड़ने वाले संभावित प्रभाव पर गौर किया गया। इनके रक्त, पेशाब और लार के नमूनों के साथ ही लंबाई, वजन और बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ) का भी विश्लेषण किया गया। करीब दस साल तक किए गए अध्ययन के दौरान 3,299 लोगों को टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित पाया गया।