वैज्ञानिकों ने कहा- मास्क के अंदर की नमी कम कर सकती है कोरोना संक्रमण की गंभीरता

कोरोना महामारी काल की शुरुआत से ही फेस मास्क कोरोना संक्रमण से बचाव का एक अहम हथिटार बनकर उभरा है। इससे कोरोना संक्रमण के फैलने से बचाव में मदद करती है। अब नए अध्ययन में वायरस की गंभीरता को कम करने में इससे कारगर बताया गया है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sun, 14 Feb 2021 03:03 PM (IST) Updated:Sun, 14 Feb 2021 03:06 PM (IST)
वैज्ञानिकों ने कहा- मास्क के अंदर की नमी कम कर सकती है कोरोना संक्रमण की गंभीरता
मास्क से कोरोना संक्रमण के कम होने की बात एक बार फिर सामने आई है। (फोटो: एएफपी)

वाशिंगटन, प्रेट्र। कोरोना महामारी काल की शुरुआत में मास्क लोगों के लिए जीवन वरदान बनाकर आया। इसके इस्तेमाल से लोग कोरोना संक्रमण से बच पाए। इस बीच मास्क को लेकर एक नया अध्ययन सामने आया है। एक नए अध्ययन में कहा गया है कि न केवल फेस मास्क लोगों को कोरोना संक्रमण के फैलने से बचाने में मदद करता है बल्कि मास्क के अंदर बनी नमी भी सांस की नली को हाइड्रेट करती है और इम्यून सिस्टम को फायदा पहुंचाती है। बायोफिजिकल जर्नल(Biophysical Journal) में प्रकाशित एक लेख के मुताबि, साँस की हवा में नमी का उच्च स्तर यह बता सकता है कि श्वसन तंत्र के जलयोजन के बाद से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में मास्क पहनना कम रोग गंभीरता से जुड़ा हुआ है।

इस शोध के एक प्रमुख लेखक ने कहा हमने पाया कि फेस मास्क दृढ़ता से सांस की हवा में आर्द्रता को बढ़ाते हैं और प्रस्ताव करते हैं कि श्वसन पथ के परिणामस्वरूप जलयोजन कोरोना वायरस रोग की गंभीरता को कम करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

अध्ययन में कहा गया है कि उच्च स्तर की नमी को फ्लू की गंभीरता को कम करने के लिए दिखाया गया है, और यह एक समान तंत्र के माध्यम से COVID -19 की गंभीरता पर लागू हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि नमी का उच्च स्तर म्यूकोसिकल क्लीयरेंस (एमसीसी) को बढ़ावा देकर फेफड़ों में वायरस के प्रसार को सीमित कर सकता है- एक रक्षा तंत्र जो फेफड़ों से बलगम और संभवतः हानिकारक कणों को हटाता है।

उन्होंने कहा कि उच्च आर्द्रता इंटरफेरॉन नामक विशेष प्रोटीन का उत्पादन करके प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत कर सकती है जो वायरस से लड़ती है जबकि एमसीसी और इंटरफेरॉन प्रतिक्रिया दोनों को कम स्तर दिखाया गया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह एक कारण हो सकता है कि लोगों को ठंड के मौसम में श्वसन संक्रमण होने की अधिक संभावना है।

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