मंगल ग्रह पर पानी होने की जानकारी मिलते ही चौंक गए थे दुनियाभर के साइंटिस्‍ट

इंसान को शुरू से ही ये जानने की इच्छा रही है कि मंगल ग्रह पर क्या-क्या चीजें है। इसी को जानने के लिए समय-समय पर वहां उपग्रह भेजे जाते रहे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 10:20 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 08:40 AM (IST)
मंगल ग्रह पर पानी होने की जानकारी मिलते ही चौंक गए थे दुनियाभर के साइंटिस्‍ट
मंगल ग्रह पर पानी होने की जानकारी मिलते ही चौंक गए थे दुनियाभर के साइंटिस्‍ट

नई दिल्ली [जागरण स्‍पेशल]। पृथ्‍वीवासियों को यह शुरू से जानने की इच्‍छा रही है कि क्‍या किसी दूसरे ग्रह पर भी जीवन है। जीवन के लिए सबसे जरूरी तत्‍व पानी चाहिए। इसी कड़ी में पहली बार 2006 में पहली बार पता चला कि मंगल ग्रह पर पानी है। बता दें कि मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष यान मार्स ग्लोबल सर्वेयर ने 7 नवंबर, 1996 को लांच किया गया था। इसी ने 10 साल के बाद यह पता लगाने में सफलता पाई कि यहां पानी है। यह जानकारी पता चलते ही दुनिया भर के साइंटिस्‍टों के बीच यह जानने की होड़ मच गई कि आखिर मंगल ग्रह पर और क्‍या है।

कैसे पता चला 

2006 में आज के ही दिन (6 दिसंबर को) यान मार्स ग्‍लोबल सर्वेयर ने मंगल ग्रह की ऐसी तस्‍वीर भेजी जिससे यह पता चला कि इस ग्रह पर पानी है। लाल ग्रह पर पानी होने की निशानी मिलते ही यहां पर और ज्‍यादा खोजबीन शुरू हो गई। कुछ वक्‍त बाद यह भी पता चला कि मंगल पर नमक की झीलें भी मौजूद थीं। जर्नल नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित एक अध्‍ययन में यह दावा किया गया है कि तीन अरब साल पहले इस ग्रह पर यह झील मौजूद थी। यह जानकारी 2006 के छह साल बाद नासा ने क्‍यूरियोसिटी रोवर ने साल 2012 में खोजी थी। 

मंगल ग्रह के किस हिस्‍से में मिला पानी 

मंगल ग्रह के क्रेटर में इस झील की मौजूदगी करीब 95 मील के क्षेत्र में फैली थी। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह क्रेटर क्‍या चीज है। क्रेटर का निर्माण किसी भी ग्रह पर तब होता है जब उससे कोई उल्‍का पिंड टकराता है। एक अध्‍ययन में यह बताया गया है कि मंगल ग्रह पर गेल क्रेटर का निर्माण करीब 3.6 अरब साल पहले एक उल्‍का पिंड के गिरने से हुआ था।

अध्‍ययन के सह लेखक मैरियन नाचोन के मुताबिक, गेल क्रेटर की जांच में ऐसे संकेत मिले हैं कि मंगल पर तरल पानी मौजूद था जिसे माइक्रोबियल जीवन के अहम घटक के रूप में माना जाता है। हालांकि यह भी बात सामने आई कि यह कितने बड़े एरिया में फैला है इसकी सटीक जानकारी नहीं है।

क्‍या पानी के बाद जीवन था वहां 

मंगल ग्रह पर जीवन था या नहीं, इसको लेकर तमाम जगहों पर रिसर्च भी जारी है। ओहियो यूनिवर्सिटी के मुताबिक, डॉ. रॉमोजर मार्स रोवर की भेजी तस्‍वीरों का कई साल से अध्‍ययन कर रहे हैं। ये तस्‍वीरें ऑनलाइन उपलब्‍ध थीं। उन्‍होंने इन तस्‍वीरों में कीट-पतंगों जैसे स्‍वरूपों के कई उदाहरण खोजे हैं, ये स्‍वरूप मक्खियों (Bees)और रेंगने वाले जीवों (Reptiles)की आकृतियों से मिलते-जुलते हैं।

डॉ. रॉमोजर ने कहा कि मंगल ग्रह पर हमेशा से जीवन था, जो आज भी मौजूद है, मंगल पर पाई गई आकृतियां और सबूत पृथ्‍वी के कीट-पतंगों (Terran Insects)से काफी समान हैं, इनमें कुछ के पंख थे, वे पंख फड़फड़ाते भी हैं, कुछ स्‍ट्क्‍चर्स में ग्‍लाइडिंग और उड़ान भरने की क्षमता के सबूत पाए गए हैं।  

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