वैज्ञानिकों ने बनाई अद्भुत दवा, गोली से लीजिए व्यायाम का फायदा, होगा कसरत करने जैसा अहसास

आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एक ऐसी दवा विकसित की है जिसकी गोली लेने के बाद ठीक वैसा ही न्यूरोलाजिकल (तंत्रिका संबंधी) फायदा पहुंचाएगा जैसा कि व्यायाम करने से होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे विटामिन की गोली की तरह लिया जा सकेगा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 09:51 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 01:59 AM (IST)
वैज्ञानिकों ने बनाई अद्भुत दवा, गोली से लीजिए व्यायाम का फायदा, होगा कसरत करने जैसा अहसास
आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खास मालीक्यूलर सिग्नल की खोज की है।

कैनबरा, आइएएनएस। आस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने खास मालीक्यूलर सिग्नल की खोज की है। यह दवा की गोली के रूप में वैसा ही न्यूरोलाजिकल (तंत्रिका संबंधी) फायदा पहुंचाएगा, जैसा कि व्यायाम करने से होता है। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया है कि आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का यह अध्ययन बुधवार को प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, उन्हें उम्मीद है कि इस खोज से विज्ञानी व्यायाम का फायदा पिल (गोली) से भी दे पाएंगे।

अल्जाइमर और पार्किसंस जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों को फायदा

वैज्ञानिकों ने बताया है कि इसे विटामिन की गोली की तरह लिया जा सकेगा, जो व्यायाम के समय मिलने वाला मालीक्यूलर मैसेज देगा। इससे उन लोगों को फायदा होगा, जो शारीरिक रूप से व्यायाम करने में सक्षम नहीं हैं। इसके साथ ही इससे अल्जाइमर और पार्किसंस जैसे रोगों से ग्रस्त लोगों को यह फायदा भी होगा कि उनमें रोग बढ़ने की गति धीमी हो जाएगी।

न्यूरान की स्थिति में ऐसे आ सकता है सुधार

नाइन एंटरटेनमेंट अखबार के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने बताया है कि हमें यह पता है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे न्यूरान कमजोर होने लगते हैं लेकिन जब हम मालीक्यूलर मैसेज भेजते हैं तो न्यूरान की स्थिति में सुधार आ सकती है। इस बात के काफी सारे सुबूत हैं कि अल्जाइमर और पार्किसंस ग्रस्त लोगों में व्यायाम से स्मरण शक्ति और मोटर कोआर्डिनेशन में सुधार आता है।

केवल कुछ लोग ही करें इस्‍तेमाल, भविष्‍य को लेकर किया आगाह 

शोधकर्ताओं ने इसके साथ ही चेताया भी है कि भविष्य में यदि इस प्रकार कोई दवा (गोली) बनाई जाती है, तो उसे सर्वसाधारण के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाना चाहिए। बल्कि उसे ऐसे रोगियों के लिए ही रिजर्व रखा जाना चाहिए, जिनका चलना-फिरना सीमित ही हो पाता है। 

अवसादरोधी दवा से बढ़ता है जोखिम

मालूम हो कि घबराहट डिमेंशिया मरीजों का सामान्य लक्षण है। इसको बातचीत और वाहन चलाने जैसी गतिविधियों के दौरान देखा जा सकता है। इसमें अक्सर शारीरिक व मौखिक आक्रामकता भी शामिल हो जाती है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन में दावा किया गया था कि डिमेंशिया के मरीजों की घबराहट के इलाज में प्रयुक्त होने वाली सामान्य दवा प्रभावी नहीं पाई गई। अवसादरोधी यह दवा मौत के खतरे को बढ़ा देती है।

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